इन अवसरों पर किया गया दीपदान होता है विशेष फलदाई:
- ऋतुओं के मुताबिक वसंत, हेमंत, शिशिर, वर्षा और शरद ऋतु में दीपदान करना धर्मशास्त्रों में उत्तम माना गया है.
- मास के मुताबिक बैशाख, श्रावण, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन में दीपदान करना उत्तम माना गया है.
- पक्षों में शुक्ल पक्ष और सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण, संक्रांति, कृष्ण पक्ष की अष्टमी, नवरात्रि और महापर्वों पर भी दीपदान करना उत्तम माना गया है.
- तिथियों के मुताबिक प्रथमा, द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, द्वादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा को दीपदान करना उत्तम माना गया है.
- नक्षत्रों की बात करें तो रोहिणी, आद्रा, पुष्य, उत्तरा, हस्त, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा और श्रवण नक्षत्रों को दीपदान करना उत्तम बताया गया है.
शास्त्रों के मुताबिक संक्रांति के दूसरे दिन से दीपक जलाने से होने वाला लाभ:
- सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने के लिए संक्रांति के दूसरे दिन से एक पाव तेल का दीपक अगले 21 दिन तक जलाना चाहिए.
- सभी तरह के शत्रुओं के नाश के लिए 75 बत्ती वाले दीपक को जलाना चाहिए.
- पुत्र प्राप्ति के लिए एक पाव तेल का दीपक संक्रांति से लेकर अगले 19 दिन तक लगातार जलाना चाहिए.
- अस्सी तोला तेल से संक्रांति के अगले दिन से लगातार 20 दिन तक दीपक जलाने से व्यक्ति को असाध्य रोग से छुटकारा मिलता है. वहीँ
- चौंसठ तोला तेल से दीपदान करने पर ग्रह का कष्ट दूर होता है.