आज देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन किए जाने वाले दान-पुण्य अनंत गुणा फलदायी होते हैं. इसी वजह से मकर संक्रांति को दान, पुण्य और देवाताओं का दिन भी कहा जाता है. मकर संक्रांति के पर्व को ‘खिचड़ी’ भी कहा जाता है. इस दिन घरों में खिचड़ी बनाई जाती है और दान दी जाती हैं. दरअसल पंचांग के अनुसार इस दिन पौष शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है इसी वजह से इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. मकर संक्रांति पर दान, स्नान और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.


मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन शुरू होता है


मकर संक्रांति के पर्व से ही मौसम में भी परिवर्तन आना शुरू हो जाता है. दरअसल संक्रांति से शीतकाल खत्म होना शुरू हो जाता है और बसंत ऋतु का आगमन होता है. इस वर्ष मकर संक्रांति पर विशेष योग बन रहा है जो बेहद फलदायी बताया जा रहा है. आज सूर्य के साथ पांच अन्य ग्रह (सूर्य, शनि, बृहस्पति, बुध और चंद्रमा) मकर राशि में विराजमान हुए हैं. सूर्य देवता के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही एक माह से चला आ रहा खरमास भी आज समाप्त हो जाता है. चूंकि खरमास में सभी मांगलिक कार्यों की मनाही होती है इसलिए मकर संक्रांति से खरमास समाप्त होते ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं.


संक्रांति पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त


मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त गुरुवार यानी आज प्रात: 8 बजकर 30 मिनट से आरंभ होगा. ज्योतिषियों के मुताबिक संक्रांति का पुण्य काल प्रात: 8 बजकर 30 मिनट से सांयकाल 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. महापुण्य काल का शुभ मुहूर्त प्रात: 8 बजकर 30 मिनट से शुरू होगा जो 10 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में स्नान और दान आदी कार्य करने बेहद फलदायी हैं. मकर संक्रांति पर किया गया दान अक्षय फल प्रदान करता है. मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से देवताओं को खिचड़ी को भोग लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में खिचड़ी को ग्रहण किया जाता है.


दक्षिण भारत में मनाया जा रहा पोंगल त्योहार


आज दक्षिण भारत का सबसे प्रसिद्ध त्योहार पोंगल भी मनाया जा रहा है. 14 जनवरी से शुरू हुआ ये त्योहार 17 जनवरी तक चलेगा. चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को नए साल के रूप में भी मनाया जाता है. इस चार दिवसीय त्योहार को लोग उत्सव के रूप में मनाते हैं.


पोंगल पर सूर्यदेव की उपासना की जा रही है


पोंगल के पर्व पर सूर्यदेव की उपासना का महत्व है. सूर्यदेव की अराधना कर भक्त उनसे भरपूर फसल की प्रार्थना करते हैं. अंग्रेजी में पोंगल को हार्वेस्टिंग फेस्टिवल भी कहा जाता है. आज घरों में स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जा रहे हैं. पोंगल का त्योहार दक्षिण भारतीय राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना में धूम-धाम से मनाया जाता है.


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