Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति पर क्यों बनाते और बांटते हैं खिचड़ीं, जानें इसका धार्मिक महत्व
Makar Sankranti 2022: साल 2022 का पहला पर्व मकर संक्रांति पड़ रहा है. इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है.
Makar Sankranti 2022: साल 2022 का पहला पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) पड़ रहा है. इस दिन सूर्यदेव धनु राशि (Dhanu Rashi) से निकलकर मकर राशि (Makar Rashi) में प्रवेश करते हैं. इसलिए इसे मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के नाम से जाना जाता है. इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है.
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के दिन गुड़, घी, नमक और तिल के अलावा काली उड़द की दाल, चावल आदि का दान किया जाता है. इतना ही नहीं, इस दिन घर में भी उड़द की दाल की खिचड़ी बनाकर खाई जाती है. इतना ही नहीं, इस दिन कई जगहों पर इस पर्व को खिचड़ी के नाम से ही जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन खिचड़ी बनाने, खाने और दान आदि से सूर्यदेव (Surya Dev) और शनिदेव (Shani Dev Blessing) की कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं इस त्योहार पर खिचड़ी की महत्वता के बारे में.
खिचड़ी की प्रचलित कथा
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के दिन खिचड़ बनाने, खाने और दान आदि की प्रथा बाबा गोरखनाथ के समय से शुरू हई थी. खिचड़ी को लेकर प्रथा है कि जब खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों को भोजन बनाने का समय नहीं मिलता था. और इस वजह से ही वे लड़ाई के लिए भूखे ही निकल जाते थे. तब बाबा गोरखनाथ (Baba Gorakhnath) ने दाल, चावल और सब्जियों को साथ मिलाकर पकाने की सलाह दी. जल्दी बनने वाली खिचड़ी से योगियों का पेट भी भर जाता था और ये पौष्टिक भी होता है.
बाबा गोरखनाथ ने इसका नाम खिचड़ी रखा. इसके बाद खिलजी से मुक्त होने के बाद मकर संक्रांति के दिन योगियों ने उत्सव मनाया और लोगों में खिचड़ी बांटी. उसी समय से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की प्रथा की शुरुआत हुई. इतना ही नहीं, इस दिन गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला लगाया जाता है. साथ ही, बाबा गोरखनाथ को इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है.
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ये है धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के दिन ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव (Lord Surya) और अपने पुत्र शनि के घर में जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र में उड़द की दाल को शनि देव से संबंधित माना गया है. ऐसे में इस दिन उड़द की दाल की खिचड़ खाने और दान करने से सूर्यदेव और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही, चावल को चंद्रामा का कारक, नमक को शुक्र का, हल्दी को गुरू बृहस्पति का, हरी सब्जियों को बुध का कारक माना जाता है. वहीं, खिलड़ी की गर्मी से इसका संबंध मंगल से जुड़ता है. इसलिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से कुंडली में हर तरह के ग्रहों की स्थिति में सुधार होता है.
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