Makar Sankranti 2023: क्या है उत्तरायण, भगवान कृष्ण ने बताया था उत्तरायण का महत्व
Makar Sankranti 2023 Uttarayan: मकर संक्रांति को सूर्य उत्तरायण भी कहा जाता है. इसका वैज्ञानिक और धार्मिक है. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के आठवें अध्याय में सूर्य उत्तरायण के महत्व को बताया है.
Makar Sankranti 2023 Uttarayan Mythological Importance: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है. वैसे तो भारत में हमेशा ही व्रत-त्योहार पड़ते हैं. ऐसा कोई भी माह नहीं होता, जब कोई व्रत त्योहार न पड़े. इसलिए कहा जाता है कि ‘सदा दीवाली सालभर, सातों बार त्योहार’. इन्हीं त्योहारों में एक है, मकर संक्रांति का त्योहार. इसे पोंगल, खिचड़ी, माघी, उत्तरायण आदि जैसे नामों से भी जाना जाता है. मकर संक्रांति का त्योहार रविवार 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा.
मकर संक्रांति को क्यों कहते हैं सूर्य उत्तरायण
मकर संक्रांति पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. जब सूर्य की गति दक्षिण की ओर से उत्तर की ओर होती है तो उसे उत्तरायण और जब उत्तर की ओर से दक्षिण की ओर होती है तो उसे दक्षिणायण कहा जाता है. शास्त्रों में सूर्य उत्तरायण काल को बहुत ही शुभ माना गया है. सूर्य जब मकर, कुंभ, वृष, मीन, मेष और मिथुन राशि में होते हैं, तब उसे उत्तरायण कहा जाता है.
श्रीकृष्ण ने बताया उत्तरायण का महत्व
गीता के 8वें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सूर्य उत्तरायण के महत्व का स्पष्ट उल्लेख मिलता है. श्रीकृष्ण कहते हैं- 'हे भरतश्रेष्ठ! ऐसे लोग जिन्हें ब्रह्म का बोध हो गया हो, अग्निमय ज्योति देवता के प्रभाव से जब छह माह सूर्य उत्तरायण होते हैं, दिन के प्रकाश में अपना शरीर त्यागते हैं, पुन: जन्म नहीं लेना पड़ता है. ऐसे योगी जो रात के अंधकार में, कृष्णपक्ष में और धूम्र देवता के प्रभाव से दक्षिणायन में अपने शरीर का त्याग करते हैं, वे चंद्र लोक में जाकर पुन: जन्म पाते हैं. वहीं वेद-शास्त्रों के अनुसार, प्रकाश में अपना शरीर त्यागने वाले व्यक्तियों को पुन: जन्म नहीं लेना पड़ता है, जबकि अंधकार में मृत्यु को प्राप्त करने वाला व्यक्ति पुन: जन्म लेता है. यहां प्रकाश और अंधकार का तात्पर्य सूर्य उत्तरायण एवं दक्षिणायन से है. यही कारण है कि सूर्य के उत्तरायण के महत्व के कारण ही भीष्म ने अपने प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति यानी कि सूर्य उत्तरायण के दिन को चुना था. छांदोग्य उपनिषद में भी सूर्य उत्तरायण के महत्व का वर्णन मिलता है.
सूर्य उत्तरायण का धार्मिक महत्व
शास्त्रों में सूर्य उत्तरायण की स्थिति का बहुत अधिक महत्व होता है. सूर्य के उत्तरायण होने पर दिन बड़ा और रातें छोटी होनी शुरू हो जाती है. इस तरह से दिन बड़ा होने पर मनुष्य की कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है. इससे मानव प्रगति की ओर अग्रसर होता है. सूर्य उत्तरायण की स्थिति मकर संक्रांति से ही शुरू होती है. इसलिए मकर संक्रांति के पर्व को मनाने और इस दिन स्नान, दान, सूर्य अर्घ्य आदि का प्रावधान भारतीय मनीषियों द्वारा तय किया गया और इसे प्रगति व ओजस्विता का पर्व माना गया.
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