Makar Sankranti 2024: हिंदू धर्म में पूरे साल कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं, जिनसे खास महत्व जुड़ा होता है. इन्हीं विशेष त्योहारों में एक है 'मकर संक्रांति' का पर्व. यह हर साल 14 या 15 जनवरी को पड़ती है. इस वर्ष सोमवार 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति पर पर्व देशभर में मनाया जाएगा.


मकर संक्रांति हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे देशभर में अलग-अलग नामों जैसे केरल और तमिलनाडू में पोंगल, कर्नाटक में संक्रांति, हरियाणा में माघी,गुजरात व रास्थनाम में उत्तरायण, उत्तराखंड में उत्तरायणी और यूपी व बिहार जैसे राज्यों में खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाता है.


ज्योतिष के अनुसार, संक्रांति का अर्थ किसी ग्रह के राशि बदलने से है. मकर संक्रांति पर सूर्य देव उत्तर दिशा की ओर गमन करते हुए धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसलिए इसे उत्तरायण और मकर संक्रांति कहा जाता है. शास्त्रों में उत्तरायण के दिन को बहुत ही शुभ माना गया है. मान्यता है कि, इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा-पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होत है. वहीं उत्तरायण पर प्राण त्यागने वाले सीधा मोक्ष को प्राप्त करते हैं.


क्यों 58 दिनो तक शरशय्या में रहे भीष्म पितामह ?


महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह कौरवों की ओर से लड़ रहे थे. इस दौरान अर्जुन के बाणों से घायल होकर वे वीरगति को प्राप्त हुए. भीष्म पितामह की इच्छा थी कि वो ऐसे समय में अपने प्राण का त्याग करे, जब सूर्य उत्तरायण हो. लेकिन जब वे अर्जुन के बाणों से घायल हुए उस समय सूर्य दक्षिणायन में थे. ऐसे में सूर्य के उत्तरायण होने के लिए भीष्म पितामह को बाणों से बिंधे होने के बावजूद भी 58 दिनों तक इंतजार करना पड़ा.


मकर संक्रांति के दिन भीष्म पितामह ने त्यागे प्राण


भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था. इसलिए वे जब और जिस दिन चाहे अपने प्राण त्याग सकते थे. शास्त्रों में प्राण त्यागने के लिए सूर्य उत्तरायण को बहुत ही शुभ माना गया है. मान्यता है कि, इस दिन प्राण त्यागने से जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर व्यक्ति सीधा मोक्ष को प्राप्त करता है. यही कारण है कि भीष्म पितामह 58 दिनों तक बाणों से बिंधे हुए व शरशय्या पर लेटे हुए अपने जीवन के एक-एक सांस को तोलते हुए सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायाण होने का इंताजर करते रहे और मकर संक्रांति के दिन जैसे ही सूर्य उत्तरायण हुए, उन्होंने आकाश की ओर देखते हुए अपने प्राण त्याग दिए.


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