Makar Sankranti 2024: पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं, लेकिन मकर संक्रांति महत्वपूर्ण मानी जाती है.पौष मास में जब सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को है.


ये सूर्य और शनि के मिलन का दिन है. कहा जाता है कि इस दिन सूर्य की काले तिल के साथ उपासना करने से व्यक्ति को शनि दोष से राहत मिलती. इसके अलावा मकर संक्रांति के मौके पर सूर्यदेव और शनि की कथा पढ़ने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. जानें मकर संक्रांति की कथा.


मकर संक्रांति की कथा (Makar Sankranti Katha)


पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव और शनि देव पिता पुत्र जरुर थे लेकिन दोनों के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी. इसका कारण था सूर्य देव का शनि की माता छाया के प्रति उनका व्यवहार. जब शनि देव का जन्म हुआ तो सूर्य ने शनि के काले रंग को देखकर कहा कि ये उनका पुत्र नहीं हो सकता. उन्होंने शनि को पुत्र स्वीकार नहीं किया और  इसके बाद से सूर्य देव ने शनि देव और उनकी माता छाया को अलग कर दिया था. शनि देव और माता छाया कुंभ नाम के घर में रहने लगे लेकिन सूर्य के इस व्यवहार से आहत होकर माता छाया ने उन्होंने कुष्ट रोग होने का श्राप दे दिया.


सूर्य देव ने भोग कुष्ठ रोग का दर्द


पिता को कुष्ठ रोग से पीड़ित देखकर सूर्य की उनके पुत्र यमराज काफी दुखी हुए. यमराज सूर्य की पहली पत्नी संज्ञा की संतान हैं. यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त कराया. सूर्य देव जब पूरी तरह स्वस्थ होकर अपनी दृष्टि पूरी तरह कुंभ राशि पर केंद्रित कर ली. इससे शनि देव का घर कुंभ जलकर राख हो गया. इसके बाद शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था


पुत्र शनि ने किया काले तिल से सूर्य का स्वागत


यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि की दुर्दशा देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य से दोनों को माफ करने की विनती करते हैं. इसके बाद सूर्य देव शनि से मिलने के लिए जाते हैं. जब शनि देव अपने पिता सूर्य देव को आता हुआ देखते हैं, तो वे अपने जले हुए घर की ओर देखते हैं. वे घर के अंदर जाते हैं, वहां एक मटके में कुछ तिल रखे हुए थे. शनि देव इन्हीं तिलों से अपने पिता का स्वागत करते हैं


शनि देव को ऐसे मिला ‘मकर’ घर


शनि के इस व्यवहार से भगवान सूर्य देव प्रसन्न हो जाते हैं और शनि देव को दूसरा घर देते हैं, जिसका नाम है मकर. इससे प्रसन्न होकर शनि देव कहते हैं कि जो भी मकर संक्रांति पर सूर्य की उपासना करेगा उसे शनि की महादशा से राहत मिलेगी, उसका घर धन-धान्य से भर जाएगा. इसलिए जब सूर्य देव अपने पुत्र के पहले घर यानि मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है.


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