Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी कब मनेगी ? सही तारीख, स्नान-दान मुहूर्त जान लें
Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का त्योहार स्नान-दान और सूर्य पूजा के लिए सबसे खास माना गया है. जानें इस साल मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी कब मनाई जाएगी.
Makar Sankranti 2025: ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं और जब ये ग्रह धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है, तब इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है. किसानों के लिए भी मकर संक्रांति महापर्व है, क्योंकि इसके बाद से ही किसानों की फसले पकती हैं और फसल कटाई का समय शुरू होता है.
मकर संक्रांति पर स्नान-दान, सूर्य पूजा करने वालों को ऐसा पुण्य मिलता है जिसका असर जीवनभर रहता है. आइए जानते हैं इस साल मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी कब है ?
मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी 2025 कब ?
मकर संक्रांति का त्योहार सूर्य के शनि की राशि मकर में गोचर पर आधारित होता है. इस साल 14 जनवरी 2025 को सूर्य सुबह 09.03 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं. ऐसे में इसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी.
पिछले कुछ सालों में ये पर्व कभी-कभी 15 जनवरी को मनाया गया था लेकिन अब 3 साल बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी. इससे पहले ये संयोग 2021 में बना था.
- मकर संक्रांति का क्षण - सुबह 09.03
- महापुण्य काल मुहूर्त - सुबह 09.03 - शाम 05.46
- पुण्य काल मुहूर्त - सुबह 09.03 - सुबह 10.48
मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा का महत्व
धरती पर जीवन सूर्य की वजह से ही है. पंचदेवों में एक मात्र सूर्य देव ही हैं जो प्रत्यक्ष रूप से धरती पर उपस्थित हैं. सूर्य के कारण ही हमें भोजन, पानी, प्राण वायु, सब कुछ मिल रहा है. इसलिए संक्रांति पर सूर्य पूजा करके हम सूर्य के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं. सूर्य देव की उपासना से मान-सम्मान में वृद्धि, रोग, दोष दूर होते हैं. पिता के साथ संबंधों में मिठास बढ़ती है.
मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा की विधि
- मकर संक्रांति के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान के पानी में गंगाजल मिलकार नहाएं
- स्नान के बाद साफ-सुथरे या नए कपड़े पहनें और सूर्य देव का ध्यान करें. 21 बार सूर्य नमोस्तु श्लोक का जाप करें.
- अब ताबें के लोट में जल, रोली, कुमकुम, फूल डालकर सूर्य की ओर देखते हुए जल चढ़ाएं. सूर्य देव के 12 नामों का जाप करे.
- सूर्य को अर्घ्य देने के बाद तीन बार उसी स्थान पर घूमें, यह सूर्य देव की परिक्रमा करने के बराबर माना जाता है.
- मकर संक्रांति के दिन नारायण की तिल से करना पूजा शुभ फलदायी माना जाता है. इस दिन खिचड़ी और तिल के लड्डू खाने की परंपरा भी है
- मकर संक्रांति पूजा-पाठ के दिन श्री नारायण कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ.
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