नई दिल्ली: साल का पहला महीन धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. इस माह में कई महत्वपूर्ण पर्व है. सकट, लोहड़ी, मकर संक्रांति जैसे पर्व इसी माह में हैं. आइए जानते हैं इन पर्वों के बारे में. सकट चतुर्थी व्रत माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी चौथ को है. इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा होती है. माताएं अपने बच्चों के सुखद भविष्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. संतान की दृष्टि से इस व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस व्रत को रखने से संतान पर गणेश जी की कृपा सदा बनी रहती है. गणेश जी हर संकट से बचाव करते हैं. इस दिन शाम के समय चंद्रमा को अघ्र्य देकर व्रत को समाप्त करने की परंपरा है. इस दिन चंद्रमा की भी पूजा होती है.


और पढ़ें: Chandra Grahan: आप की राशि पर चंद्र ग्रहण का क्या रहेगा प्रभाव, जानने के लिए पढ़ें ये खबर

कब है सकट चौथ

दिन: 13 जनवरी
आरंभ समय: शाम 5 बजकर 30
समाप्ति समय: दोपहर 2 बजकर 50 मिनट- 14 जनवरी

और पढ़ें: Happy Lohri स्वाद और सेहत से भरपूर लोहड़ी पर खाए जाने वाले ये हैं खास व्यंजन

लोहड़ी का पर्व

भारत एक कृषि प्रधान देश है. हमारे देश में बहुत से पर्व और मेले कृषि से जुड़े हुए हैं. यही वजह है कि फसल पकने और कटने के बाद हमारे देश में पर्व मनाने का रिवाज है. लोहड़ी का पर्व भी एक ऐसा ही पर्व है. सर्दी के मौसम में किसानों को इस दिन से राहत मिलने लगती है. मौसम बदलने लगता है. खेतों में फसलें भी तैयार हो जाती हैं. गेंहूं, सरसों और चना की फसलें लहलहाने लगती हैं. लोहड़ी का पर्व हर्षोल्लास का पर्व है. ये पर्व किसानों से जुड़ा है. इस पर्व को शहरों यहां तक की विदेशों में भी मनाया जाता है. इस पर्व को हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी के रुप में मनाते हैं. इस पर्व को 14 जनवरी को मनाया जाएगा.

ऐसे मनाते हैं लोहड़ी का पर्व

इस दिन लकड़ी और उपलों का ढ़ेर लगाते हैं, फिर उसमें आग लगाते हैं. लपटें उठने के बाद आग में मूंगफली, रेवड़ी, मक्के के दाने, गन्ना आदि को डालते हैं. फिर आग के चारों ओर घुमते हैं गीत गाते हैं और बुजुर्गों का आर्शीवाद लेते हैं इस दिन गुड़ तिल से बनी चीजों को खाने की भी परंपरा है. जिस घर में बच्चा पैदा होता है उस घर में विशेष रुप से लोहड़ी मनाई जाती है. इस दिन बच्चों को उपहार भी देते हैं.

और पढ़ें: इस बार मकर संक्रांति पर बन रहा है ये शुभ योग, लाभ उठाने के लिए करें ये उपाय

मकर संक्रांति का पर्व

मकर संक्रांति का पर्व बेहद महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन दान की परंपरा है. पवित्र नदियों में स्नान भी करते हैं. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. सूर्य का इस राशि परिवर्तन को संक्रांति कहत हैं. इसे उत्तरायण भी कहा जाता है. इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं इस दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन से सूर्य अपने पूरे तेज में लौटने लगते हैं. 14 जनवरी रात 2 बजकर 8 मिनट पर सूर्य उत्तरायण होंगे. इसी समय सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे.

मकर संक्रांति समय
दिनांक: 15 जनवरी
पुण्यकाल: सुबह 07.19 से 12.31 बजे तक
महापुण्य काल : 07.19 से 09.03 बजे तक

और पढ़ें: सकट पर्व पर इस तरह की जाती है पूजा, व्रत रखने से संतान की लंबी होती है उम्र
और पढ़ें: Chandra Grahan Sutak: चंद्र ग्रहण से जुड़ी अच्छी खबर, इस बार चंद्र ग्रहण पर नहीं लग रहा है सूतक