Malmaas 2020: वैसे सामान्य तौर पर पितृ पक्ष के ख़त्म होने पर शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो रहा है. इसका कारण यह है कि इस साल पितृ पक्ष के फ़ौरन बाद एक महीने के लिए मलमास का लगना, जिसके कारण शारदीय नवरात्रि एक माह बाद शुरू हो रही है. लीप ईयर 2020 का यह मलमास 18 सितंबर 2020 से शुरू होकर 16 अक्टूबर 2020 को ख़त्म होगा. आइए अब जानते हैं मलमास में ध्यान रखने वाली 11 बातों के बारे में.




  1. वैसे मलमास को पूजा-पाठ के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मलमास के दौरान किए जाने वाले पूजा-पाठ का फल 10 गुना अधिक मिलता है. अथर्ववेद में मलमास को भगवान का घर भी बताया गया है.

  2. भगवान विष्णु को मलमास का स्वामी कहा जाता है. चूंकि मलमास की कथा भगवान विष्णु के चौथे अवतार नृ:सिंह भगवान और श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है इसलिए मलमास में अगर इन दोनों देवताओं की पूजा की जाय तो सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं.

  3. मलमास का यह महीना धर्म-कर्म का महीना माना जाता है. इस तरह से जो व्यक्ति मलमास में धर्म-कर्म, दान-पुण्य आदि का कार्य करता है वह सभी पापों से मुक्त होकर वैकुंठ को प्राप्त होता है.

  4. इस मलमास के महीने में पुरुषोत्तम भगवान का जो व्यक्ति श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ और व्रत आदि कार्य करता है उसे भी अंततः भगवान के धाम की प्राप्ति होती है.

  5. चूंकि नृ:सिंह भगवान ने इस मास को अपना नाम देकर कहा है कि अब मैं इस मास का मालिक हो गया हूं और इसके नाम से सारा जगत पवित्र होगा. इसलिए इस मास में जो मेरी पूजा कर मुझे प्रसन्न करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.

  6. इस मास में किए गए पूजा-पाठ का अधिक महत्व होता है. इस मास में 33 देवताओं की पूजा की जाती है.

  7. मलमास के दौरान घर के मंदिर में शालिग्राम भगवान की मूर्ति के सामने घी का अखंड दीपक जलाना चाहिए.

  8. मलमास के दौरान गीता के 14वें अध्याय का भी रोज अर्थ सहित पाठ करना चाहिए.

  9. मलमास के दौरान विष्णु भगवान के द्वादशाक्षर मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करना चाहिए. इससे व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर सद्गति को प्राप्त होता है.

  10. मलमास के दौरान शहद, चावल का मांड़, उड़द, मसूर, मूली, लहसुन, प्याज और नशा देने वाले पदार्थ आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.

  11. मलमास का यह महीना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उत्तम माना गया है. क्योंकि मलमास में किए गए जप, तप, उपवास आदि के फलस्वरूप मनुष्य में एक नई ऊर्जा का संचार होने लगता है.