Mandir Ghanti: मंदिर में प्रवेश करते वक्त घंटी बजाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. घर में या मंदिर में पूजा के दौरान भी घंटी बजाई जाती है, कहते हैं घंटी बजाए बिना आरती पूर्ण नहीं मानी जाती. क्या हम जानते हैं कि मंदिर में जानें से पहले घंटी क्यों बजानी चाहिए? क्या है इसके पीछे कारण. आइए जानते हैं इन्ही सवालों के जवाब.


घंटी बजाने का धार्मिक महत्व:



  • धर्म ग्रंथों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से वहां स्थापित देवी-देवता की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है. कहते हैं इसके बाद प्रभू की पूजा बहुत प्रभावशाली बन जाती है और ईश्वर आपकी प्रार्थना जरूर सुनते हैं. घंटी बजाने का मतलब है ईश्वर के समक्ष आपकी हाजिरी लगना.

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घंटी बजाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. कहा जाता है कि प्रभू को घंटा, शंख और घड़ियाल आदि की आवाज अति प्रिय है. घंटी की आवाज से वातावरण में शुद्धता आती है  समृद्धि के द्वार खुलते हैं.

  • घंटी को सृष्टि की रचना के समय गूंजने वाली नाद का प्रतीक माना गया है. यही वजह है कि  शुभ कार्य का प्रारंभ घंटी बजाकर किया जाए तो भगवान की आशीर्वाद जरूर मिलता है.


घंटी बजाने की वैज्ञानिक वजह:



  • वैज्ञानिक द्दष्टि से देखें तो मंदिर में घंटी बजाने के वातावरण में दूर तक तेज कंपन होता है. इससे हवा में मौजूद विभिन्न तरह के हानिकारक जीवाणु खत्म हो जाते हैं.

  • मंदिर में घंटी की ध्वनि तरंगें वातावरण को प्रभावित करती हैं और इससे शांत, पवित्र और सुखद माहौल पैदा होता है. इससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार.


घंटी कितने प्रकार की होती है


घंटी चार प्रकार की होती है गरूड घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी, घंटा



  1. गरूड़ घंटी - गरूड़ घंटी का उपयोग घर में पूजा में किया जाता है. ये आकार में छोटी होती है.

  2. द्वार घंटी - द्वार घंटी घर के मुख्य द्वार पर लगाते हैं, मान्यता है इससे नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती.

  3. हाथ घंटी - हाथ वाली घंटी पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है, जिसको लकड़ी के एक गद्दे से मारकर बजाया जाता है.

  4. घंटा - घंटा लगभग 5 फुट लंबा और चौड़ा होता है. इसे बजाने पर कई किलोमीटर तक इसकी आवाज सुनाई देती हैं.


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