Astrology, Grah Dosh Upay, Kundali: किसी भी बच्चे का स्वाभाव या व्यवहार उसके माता-पिता, पारिवारिक सदस्य और पड़ोसियों के व्यवहार से प्रभावित तो होता ही है. साथ ही इसके स्वभाव पर ग्रहों का भी प्रभाव पड़ता है. हर बच्चे का अपना एक नैसर्गित प्रकृति और स्वभाव होता है जो कि बच्चे में जन्मजात उपस्थिति होता है. धीरे-धीरे बच्चा अपने उसी नैसर्गिक स्वाभाव में ढलता चला जाता है.


ज्योतिष के मुताबिक, किसी भी बच्चे के नैसर्गिक स्वाभाव को निश्चित करने में उसके जन्म के समय ग्रहों की स्थिति मुख्य भूमिका निभाती है. जन्म के समय बच्चे की जन्मकुंडली में जिस प्रकार की ग्रह स्थिति बनी होती है. बच्चे के अंदर उसी प्रकार के स्वभाव का विकास होता है.


बच्चे जिद्दी क्यों होतेहैं?


ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, बच्चे के स्वाभाव पर ग्रहों की स्थिति का नियंत्रण होता है. कुछ बच्चे बचपन से ही स्वभावतः बहुत जिद्दी, गुस्सा करने वाले और उठापटक करने वाले होते हैं. वे किसी की बात सुनने को राजी नहीं होते हैं. तो आइये जानें कि कौन से विशेष ग्रह योग बच्चो को जिद्दी और क्रोधी स्वाभाव के बना देते हैं.


ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के प्रथम भाव (लग्न भाव) को स्वाभाव या प्रकृति का भाव माना गया है, वहीं  कुंडली का पंचम भाव बुद्धि स्थान होता है. यह भाव भी जातक (बच्चे) के प्रकृति को प्रभावित करता है.  ज्योतिष में मंगल को गुस्सा, जिद्दी स्वभाव, आक्रामकता, उठापटक आदि का कारक ग्रह माना गया है. वहीं सूर्यदेव को एकाधिकार का कारक ग्रह माना गया है. राहु तामसिक प्रवृति के कारक हैं. देवगुरु बृहस्पति को विवेक का, बुध को बुद्धि का और चंद्रमा को मन का नियंत्रक माना गया है. मंगल, राहु और सूर्य के साथ इन ग्रहों की विशेष स्थिति के निर्माण से बने योग बच्चों में जिद्दी और आक्रामक प्रवृति तो जन्म देते हैं.


उपाय: हर बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग-अलग होती है. इस लिए इनके लिए उपाय भी अलग –अलग करने चाहिए.



  • यदि बच्चा जिद्दी और क्रोधी स्वभाव का हो तो मंगलवार को बच्चे के हाथ लाल मसूर का दान किसी गरीब को दिलाएं.

  • बच्चे के मस्तक पर सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाएं.

  • बुधवार के दिन बच्चे के हाथ से बूंदी के दो लड्डू का भगवान गणेश का भोग लगवाये.


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