Mangla Gauri Vart Puja Samagri List: सावन में आने वाला मंगला गौरी व्रत सावन के हर मंगलवार को रखा जाता है, जो माता गौरी को समर्पित होता है. यह व्रत सुहागन महिलाएं जहां जीवन साथी और संतान के सुखद जीवन की कामना के लिए करती हैं, वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छे जीवनसाथी पाने के लिए करती हैं. अगर कुंडली में मंगल दोष है तो ये व्रत करना बहुत फलदायी माना जाता है. यह व्रत प्रारंभ करने के बाद इस व्रत को लगातार पांच वर्षों तक किया जाता है. इसके बाद इस व्रत का विधि-विधान से उद्यापन करा जाता है.
मंगला गौरी व्रत की पूजा सामग्री
मंगला गौरी व्रत पूजा के दौरान सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए, क्योंकि यह अंक सुहागनों के लिए अत्यंत शुभ होता है.
- पूजा के लिए चौकी.
- सफेद और लाल रंग का कपड़ा.
- धूपबत्ती, कपूर, माचिस, आटे का चौमुखी दीपक, कलश और अगरबत्ती.
- गेहूं और चावल.
- सोलह-सोलह तार की चार बत्तियां.
- स्वच्छ और पवित्र मिट्टी, जिससे कि मां गौरी की प्रतिमा का निर्माण किया जा सके.अगर आप प्रतिमा निर्माण करने में असमर्थ है तो आप प्रतिमा खरीद सकती है.
- अभिषेक के लिए दूध, पंचामृत और साफ जल.
- कुमकुम, चावल, अबीरा, हल्दी आदि.
- मां गौरी के लिए नए वस्त्र.
- सोलह प्रकार के फूल, माला ,फल, आटे के लड्डू और पत्ते.
- 7 प्रकार के अनाज और पंचखोका.
- 16 सुपारी, पान ओर लौंग.
- 1 सुहागन पिटारी (मेहंदी, नेलपॉलिश, 16 चूड़ियां, हल्दी, कंघा, तेल, आईना, मंगलसूत्र, बिछिया आदि सामान होता है.)
- नेवैद्य
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