Mangla Gauri Vrat 2023: इस बार सावन में 9 मंगला गौरी व्रत का दुर्लभ संयोग, पहले दिन ही रखा जाएगा मंगला गौरी व्रत
Mangla Gauri Vrat 2023: सावन महीने में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.
Mangla Gauri Vrat 2023 in Sawan: सावन का पवित्र महीना शिवजी की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल 4 जुलाई से सावन की शुरुआत हो रही है और 31 जुलाई को इसकी समाप्ति होगी. जिस तरह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व है, उसी तरह सावन में पड़ने वाले मंगलवार का भी विशेष महत्व होता है.
सावन में पड़ने वाले सभी मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की मनोकामना से व्रत रखकर पूजा करती हैं. मान्यता है कि, कुंवारी कन्याएं अगर इस व्रत को करती हैं तो उन्हें उत्तम व योग्य वर की प्राप्ति होती है. साथ ही शीघ्र विवाह के योग भी बनते हैं.
सावन में 9 मंगला गौरी व्रत का दुर्लभ संयोग
इस साल सावन में अधिकमास लगने के कारण सावन दो महीने का होगा, जिसमें सावन के 8 सोमवार का व्रत रखा जाएगा. अधिकमास के कारण इस साल मंगला गौरी व्रत की संख्या भी अधिक हो गई है. पंचांग के अनुसार, इस साल कुल 9 मंगलवार पड़ेंगे, जिस कारण 9 मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा. इसमें चार सावन के और पांच अधिकमास के मंगला गौरी व्रत हैं.जबकि आमतौर पर हर साल 4 या 5 मंगला गौरी व्रत रखे जाते हैं.
मंगला गौरी व्रत से सावन की शुरुआत
इस साल हिंदू धर्म के पवित्र महीने सावन की शुरुआत मंगला गौरी व्रत के साथ ही होगी और सावन के पहले दिन ही पहला मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा. दरअसल 4 जुलाई से सावन की शुरुआत हो रही है और इस दिन मंगलवार है. ऐसे में सावन मास का पहला मंगला गौरी व्रत सावन के पहले दिन ही रखा जाएगा.
सावन मंगला गौरी व्रत 2023 लिस्ट
- पहला मंगला गौरी व्रत- 4 जुलाई
- दूसरा मंगला गौरी व्रत- 11 जुलाई
- तीसरा मंगला गौरी व्रत- 18 जुलाई (अधिकमास)
- चौथा मंगला गौरी व्रत- 25 जुलाई (अधिकमास)
- पांचवा मंगला गौरी व्रत- 1 अगस्त (अधिकमास)
- छठा मंगला गौरी व्रत- 8 अगस्त (अधिकमास)
- सातवां मंगला गौरी व्रत- 15 अगस्त (अधिकमास)
- आठवां मंगला गौरी व्रत- 22 अगस्त
- नौवां मंगला गौरी व्रत- 29 अगस्त
मंगला गौरी व्रत 2023 पूजा विधि
सावन में पड़ने वाले मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े लें. इसके बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और व्रत आरंभ करें. इस दिन शिव और पार्वती दोनों की पूजा करें. माता पार्वती को सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, फूल, आदि अर्पित करें और शिवजी को चंदन का तिलक लगाएं. इसके बाद फल, फूल धूप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. माता पार्वती को श्रृंगार या सुहाग के सामान भी चढ़ाएं. फिर मंगला गौरी की व्रत की व्रत कथा पढ़ें और आरती कर पूजा का समापन करें. इसके बाद पति की दीर्घायु और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना करें.
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