Mangla Gauri Vrat 2024: सावन (Sawan) महीने में मंगला गौरी व्रत रखने का विधान है. वैसे तो मंगलवार का दिन हनुमान जी (Hanuman Ji) की पूजा के लिए समर्पित है. लेकिन सावन महीने में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार (Mangalwar) के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर मां पार्वती (Maa Parvati) की पूजा करती हैं. साथ ही इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और गणेश जी (Ganesh) की भी पूजा की जाती है.


बता दें कि इस साल सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हुई थी, जिसकी समाप्ति 19 अगस्त 2024 को होगी. सावन में इस साल कुल 4 मंगलवार पड़ने के कारण 4 मंगला गौरी व्रत भी रखे जाएंगे. तीन मंगला गौरी व्रत पूर्ण होने के बाद अब 13 अगस्त 2024 मंगलवार को चौथा या आखिरी मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा. आइये जानते हैं कैसे करें सावन के आखिरी मंगलवार पर मंगला गौरी का पूजन.


मंगला गौरी व्रत पूजा विधि (Mangla Gauri Vrat 2024 Puja Vidhi)


मंगला गौरी व्रत में मां पार्वती के मंगला गौरी रूप की अराधना होती है. व्रत वाले दिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नानादि कर पूजाघर (Puja Ghar) की साफ-सफाई करनी चाहिए. पूजा के लिए महिलाओं को लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए. इसके साथ ही आप हरा, गुलाबी और पीले आदि जैसे रंगों के कपड़े भी पहन सकती हैं. लेकिन सफेद, काले, ब्लू या स्लेटी रंगों के कपड़े न पहनें.


पूजा के लिए एक चौकी में मां पार्वती की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित करें. साथ ही शिवजी और गणेश जी की भी तस्वीर रखें. मां मंगला गौरी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद सिंदूर लगाकर फूल, माला, लौंग, सुपारी, इलायची, पान, लड्डू, फल आदि चढ़ाएं. साथ ही सुहाग का सामान भी मां पार्तवी को चढ़ाएं. इस बात का ध्यान रखें कि, मंगला गौरी की पूजा में माता को अर्पित की जाने वाली सभी सामग्रियों की संख्या 16 होनी चाहिए.


इसके बाद शिवजी और गणेश जी की भी पूजा करें. फिर मंगला गौरी की व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha) पढ़ें या सुने. आखिर में आरती (Mangla Gauri Arti) करें. इस तरह विधि-विधान से पूजा करने पर मां मंगला गौरी प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य का आशीष देती हैं.


मंगला गौरी व्रत का महत्व (Mangla Gauri Vrat Significance)


सावन में पड़ने वाले मंगला गौरी व्रत का बहुत महत्व है. मान्यता है कि मंगला गौरी के व्रत और पूजन वैवाहिक जीवन (Married Life) सुखी रहता है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वहीं कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए करती हैं. संतान प्राप्ति की कामना के लिए मंगला गौरी का व्रत शुभ माना जाता है.


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