Margashirsha Purnima 2021: सावन माह की तरह ही हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह (Margashirsh Month) का विशेष महत्व है. क्योंकि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने मार्गशीर्ष का महीना स्वंय के समान बताया है. इस महीने का हर दिन ही धार्मिक महत्व का होता है. इतना ही नहीं, इस माह में पड़ने वाली अमावस्या और पू्र्णिमा का भी खास महत्व है. इस बार मार्गशीर्ष माह की अमावस्या (Margashirsh Month Amavasya 2021) 4 दिसंबर के दिन पड़ रही है. और 15 दिन भाग मार्गशीर्ष माह के अंतिम दिन पूर्णिमा होगी. मान्यता है कि इस मार्गशीर्ष माह के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा (Satyanarayan Katha) का श्रवण किया जाता है, इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है. इस दिन चंद्रमा की भी अराधना की जाती है.
मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह में श्री कृष्ण की पूजा (Margashirsh Month Shri Krishna Puja) की जाती है, इसलिए पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा का भी विशेष लाभ होता है. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा कब है, चंद्रमा के उदय का समय और महत्व.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 तिथि (Margashirsh Purnima 2021 Tithi)
हिंदू पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष के आखिरी तिथि को पूर्णिमा है तिथि 18 दिसंबर, शनिवार को प्रात: 07 बजकर 24 मिनट से शुरु होकर, अगले दिन 19 दिसंबर दिन रविवार को सुबह 10 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 18 दिसंबर को मनाई जाएगी.
शुभ योग में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 (Margashirsha Month Shubh Yog 2021)
बता दें कि इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुभ योग बन रहे हैं. 18 दिसंबर पूर्णिमा के दिन साध्य योग सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक है. इसके बाद शुभ योग प्रारंभ हो जाएगा. फिर शुभ योग पूर्णिमा तिथि तक बना रहेगा.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 चंद्रोदय (Margashirsh Purnima Moonrise Time 2021)
इस दिन चंद्रमा शाम 04 बजकर 46 मिनट पर उदय होगा. उस दिन चंद्रास्त का समय प्राप्त नहीं है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व (Margashirsh Purnima Significance)
हर माह में पड़ने वाली पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है. मार्गशीर्ष का महीना भी पवित्र महीना होता है और इस माह में श्री कृष्ण की पूजा अर्चना का विधान है. मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा का भी विशेष महत्व है. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
इस दिन दान, स्नान और पूजा आदि का भी खास महत्व है, जो लोग इस दिन नदी में स्नान और दान करते हैं, उनको कई गुणा पुण्य फल की प्राप्ति होती है. इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है. और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है.
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