Margashirsha Purnima 2023: मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है? इस दिन का धार्मिक महत्व जानकर रह जाएंगे हैरान
Margashirsha Purnima 2023: मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा कहा जाता है. मान्यता है कि सभी पूर्णिमा की अपेक्षा मार्गशीर्ष पूर्णिमा में किए पूजा, व्रत, दान आदि से 32 गुणा अधिक पुण्य फल मिलता है.
Margashirsha Purnima 2023: शास्त्रों में मार्गशीर्ष या अगहन महीने के महत्व के बारे में बताया गया है. साथ ही इस महीने पड़ने वाली पूर्णिमा भी अन्य पूर्णिमा तिथि से पवित्र और श्रेष्ठ होती है. इस महीने की पूर्णिमा को पर्व की तरह मनाया जाता है. बता दें कि मार्गशीर्ष महीने की शुरुआत 28 नवंबर से हुई है, जिसका समापन 26 दिसंबर 2023 को होगा.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदी में स्नान, दान, व्रत,ध्यान, पूजा-पाठ आदि करना उत्तम होता है. इसी दिन दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है. जानते हैं इस साल कब पड़ रही है मार्गशीर्ष पूर्णिमा और क्या है इस दिन का धार्मिक महत्व.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2023 कब (Margashirsha Purnima 2023 Date)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा मंगलवार, 26 दिसंबर को पड़ रही है. इसी दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश दत्तादेय की जयंती भी मनाई जाएगी. साथ ही इसी दिन अन्नपूर्णा जयंती भी पड़ रही है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सत्यनारायण पूजा करने का भी महत्व है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2023 मुहूर्त (Margashirsha Purnima 2023 Muhurat)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का आरंभ 26 दिसंबर सुबह 05:46 पर होगा और इसकी समाप्ति 27 दिसंबर सुबह 06:02 पर होगी. पूर्णिमा तिथि का व्रत, स्नान, दान आदि सभी कार्य 26 दिसंबर को करना ही मान्य होगा. मार्गशीर्ष स्नान के लिए सुबह 05:22 से 06:17 तक का मुहूर्त रहेगा. वहीं लक्ष्मी पूजन देर रात 11:54 से 12: 49 तक दिया जा सकेगा.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व (Margashirsha Purnima Significance)
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है. क्योंकि ऐसी मान्यता है कि, मार्गशीर्ष पूर्णिमा में किए कार्य जैसे स्नान, दान, व्रत और पूजा आदि से 32 गुणा फल की प्राप्ति होती है.
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि श्रीकृष्ण ने गीता में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का उल्लेख करते हुए कहा है, ‘मासानां मार्गशीर्षोहम्’ यानी मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं.
- साथ ही पौराणिक मान्यता व कथाओं के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पहली तिथि से देवताओं द्वारा वर्ष का आरंभ किया गया था.
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है. इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र दोष दूर होता है.
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा की रात लक्ष्मी जी का पूजन करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती है. इसलिए इस पूर्णिमा को परम फलदायी कहा जाता है.
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