Margashirsha Purnima 2023: पूर्णिमा का हिंदू धर्म में धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व बताया गया है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा साल 2023 की आखिरी पूर्णिमा होगी. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है और पूर्णिमा के दिन चांद के पूरे होने पर उसका प्रभाव जातक के मन पर अवश्य पड़ता है.


पूर्णिमा पर चांद को अर्घ्य देने का महत्व है, साथ ही लक्ष्मी पूजन से घर में सुख-संपन्नता, सफलता और समृद्धि आती है. 26 दिसंबर 2023 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर पूजा का मुहूर्त, व्रत की विधि, मंत्र, जानें.


26 दिसंबर 2023 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा मुहूर्त



  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि शुरू - 26 दिसंबर 2023, सुबह 05 बजकर 46

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त - 27 दिसंबर 2023,  सुबह 06 बजकर 02

  • स्नान मुहूर्त - सुबह 05.22 - सुबह 06.17

  • अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12.00 - दोपहर 12.42

  • सत्यनारायण पूजा - सुबह 09.46 - दोपहर 01.39

  • चंद्रोदय समय - शाम 04.45

  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - रात 11.54 - देर रात 12.49, 27 दिसंबर


मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत की विधि



  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर गंगाजल से स्नान करना चाहिए. नहाने के बाद व्रत का संकल्प लें. सबसे पहले सूर्य देवता को सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए जल अर्पित करें.

  • पूर्णिमा तिथि पर काले तिल से अपने पितरों का तर्पण करें और फिर हवन करें. इससे पितरों की आत्मा तृप्त रहती है. 

  • घर में भगवान सत्यनारायण की कथा करें, ध्यान रहे इस दौरान पूरी कथा का श्रवण करें और प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही स्थान छोड़ें. नहीं तो पूजा-व्रत का फल नहीं मिलता.

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत करने वालों इस दिन 5-7 ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए. जरुरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र का दान करें.

  • सुबह तुलसी का पूजन करें. इस दिन मां लक्ष्मी पीपल के पेड़ में वास करती हैं. ऐसे में पीपल को जल में तिल, दूध डालकर सीचें. परिक्रमा लगाएं. इससे घर में लक्ष्मी जी का वास होता है.

  • पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय होने पर कच्चा दूध में चावल और चीनी डालकर अर्घ्य दें. निशिता काल मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करें.

  • पूर्णिमा के व्रत में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन भोजन केवल एक समय ही करें.


मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा मंत्र



  • सूर्य पूजा - ऊं घृणि सूर्याय नम:

  • चंद्रमा पूजा - ऊँ सों सोमाय नम:

  • लक्ष्मी पूजा - ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

  • विष्णु पूजा - ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय


Margashirsha Purnima 2023: पूर्णिमा पर ही क्यों की जाती है सत्यनारायण व्रत कथा, जानें इसका महत्व और लाभ


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