Sankashti Chaturthi 2024: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कब है, नोट कर लें डेट, मुहूर्त, गणपति पूजन विधि
Sankashti Chaturthi 2024: मंगल कामनाओं की पूर्ति के लिए गणेश जी की पूजा पहले की जाती है, गणपति के आशीर्वाद से बुद्धि-विद्या में वृद्धि होती है. इस साल मार्गशीर्ष माह की गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कब है.
Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: गौरी पुत्र गजानन की पूजा के लिए चतुर्थी तिथि सबसे शुभ और फलदायी मानी गई है. मार्गशीर्ष माह में आने वाली चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रत कर कर गणेश जी की पूजा करने से जीवन की समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इस साल मार्गशीर्ष माह की संकष्टी चतुर्थी 2024 में कब है, नोट कर लें डेट, पूजा मुहूर्त और महत्व.
मार्गशीर्ष संकष्टी चतुर्थी 2024 डेट (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 Date)
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 18 नवंबर 2024 है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं. संकष्टी चतुर्थी के नाम से ही जान सकते हैं कि वह चतुर्थी व्रत, जिसको करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
मार्गशीर्ष संकष्टी चतुर्थी 2024 मुहूर्त (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 Muhurat)
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 18 नवंबर 2024 शाम 06 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 19 नवंबर 2024 को शाम 05 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी.
गणपति पूजा का समय (Ganesh ji Puja)
- सुबह 09.26 - सुबह 10.46
- शाम 05.26 - रात 07.06
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2024 चंद्रोदय समय (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 Moon Time)
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का चंद्रमा रात 07.34 मिनट पर उदय होगा. संकष्टी चतुर्थी की रात चंद्रमा की पूजा करने का विधान है. इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं होता है. व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करके व्रत को पूरा करता है.
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी महत्व (Ganadhipa Sankashti Chaturthi Significance)
श्रद्धालु इस दिन व्रत एवं भगवान गणेश का भक्ति-भाव से पूजन करते हैं. हर संकष्टी चतुर्थी का अपना एक अलग नाम, कथा और पीठ है. मान्यता है कि भगवान गणेश की उपासना करने से जीवन की सभी समस्याएं और संकट दूर होते हैं. इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसके जीवन के सारे कष्ट मिट जाते हैं. विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं.
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