Durga Ashtami: दुर्गा माता को शक्ति की देवी माना गया है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन व्रत रखकर दुर्गा माता की पूजा और उपासना की जाती है. महिलाएं और पुरूष दोनों ही इस व्रत को रख सकते हैं.
दुर्गाष्टमी का महत्व
दुर्गाष्टमी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन दुर्गा माता की पूजा और व्रत रखने से जीवन के कई कष्ट दूर हो जाते हैं. जिन लोगों के जीवन में धन का संकट, किसी प्रकार का रोग या फिर शत्रुओं से भय बना हुआ है तो इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से इन दिक्कतों से बचा जा सकता है. मां का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए पूरे मनोयोग से पूजा करनी चाहिए.
दुर्गाष्टमी का मुहूर्त समय
पंचांग के अनुसान 28 जून को अष्टमी की तिथि है. इसे आषाढ़ अष्टमी भी कहते हैं. जो प्रात: 02 बजकर 53 AM पर प्रारंभ होगी और 29 जून को 12 बजकर 35 AM पर समाप्त होगी.
व्रत विधि
सुबह स्नान करने के बाद सर्वप्रथम पूजा स्थान को शुद्ध करें. इसके बाद पूजा प्रारंभ करें. दुर्गा मां को पुष्प, मिष्ठान और फल अर्पित करें. धूप और घी का दीपक जलाएं. व्रत का संकल्प लें. इसे बाद सूर्य भगवान को जल अर्पित करें. रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित हैं. इसलिए इस दिन सूर्य देव की पूजा करें.
दुर्गा अष्टमी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार बहुत समय पहले जब पृथ्वी पर असुरों की अराजकता बढ़ने लगी और असुर अपने आपको बहुत शक्तिशाली समझने लगे तो उन्होंने स्वर्ग पर कब्जा करने की ठानी. इन असुरों का राजा महिषासुर था. जिसने असुरों की सेना लेकर स्वर्ग पर हमला बोल दिया और कई देवताओं का वध कर डाला. स्वर्ग में को तहस नहस करने लगे तब सभी देवी देवताओं ने त्रिदेव यानि भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा की शरण ली. तब शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया गया. हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किया. इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया. मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया. इस दिन को दुर्गा अष्टमी के रूप मानते हैं.
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