Masik Shivratri 2021 Puja Vidhi: हर माह में कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है. वैशाख मास की शिवरात्रि आज 9 मई को है. इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव का पूजन करने से सभी प्रकार के दुखों का अंत होता है. संतान की प्राप्ति होती है. भक्त सभी प्रकार के रोगों से मुक्त होता है. आइये जानें मासिक शिवरात्रि व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
इन शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा-
- ब्रह्म मुहूर्त- मई 10 को सुबह 03:59 बजे से 04:42 बजे तक
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:39 से 12:32 पीएम तक.
- विजय मुहूर्त- 02:19 पीएम से 03:12 पीएम तक.
- गोधूलि मुहूर्त- 06:32 पीएम से 06:56 पीएम तक.
- अमृत काल- 02:49 पीएम से 04:36 पीएम तक.
- निशिता मुहूर्त- 11:44 पीएम से 12:26 एएम, मई 10 तक.
- सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:29 पीएम से 05:25 एएम, मई 10 तक.
पौराणिक कथा: प्राचीन काल में चित्रभानु नामक एक शिकारी था. वह शिकार के द्वारा अपने परिवार का पालन करता था. वह एक साहूकार का कर्जदार था. एक दिन साहूकार ने शिकारी को कर्ज न अदा कर पाने के कारण बंदी बनाकर शिवमठ में डाल दिया. संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी. शिकारी पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए ध्यानमग्न होकर शिव भगवन की चर्चा सुनता रहा.
शाम को साहूकार ने शिकारी को बुलवाया और कर्ज चुकता करने की बावत बात की. शिकारी द्वारा कर्ज अदा करने की बात किये जाने के बाद साहूकार ने शिकारी को बंधन से मुक्त कर दिया. शिकारी भूख -प्यास से व्याकुल होकर शिकार की खोज में एक जंगल में पहुँच गया. शिकार की तलाश करते-करते अँधेरा हो गया. तो उसने जंगल में ही रात बिताने को मजबूर हुआ. वह एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ पर चढ़कर रात बीतने का इंतजार करने लगा.
बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्व पत्रों से ढका हुआ था. शिकारी को इसकी जानकारी न थी. पड़ाव बनाते समय बिल्व की जो टहनियां तोड़कर नीचे डालता वह भगवान शिव के शिवलिंग पर गिरती चली गई. इस प्रकार उसका व्रत भी पूरा हुआ और बिल्व पत्र भी चढ़ गए. एक पहर रात्रि बीत जाने परा एक गर्भिणी हिरणी तालाब पर पानी पीने पहुंची. जैसे ही शिकारी ने हिरणी का शिकार करने के लिए प्रत्यंचा चढ़ाया. हिरणी बोली में गर्भिणी हूँ. मैं जल्द ही बच्चे को जन्म देने वाली हूँ. मुझे अभी मत मारो. बच्चे को जन्म देकर मैं पुनः आपके समक्ष आजाउंगी. उसकी बात सुनकर शिकारी को दया आ गई और उसे जाने दिया. प्रत्यंचा चढ़ाने और ढीली करने के समय भी कई बेल-पत्र टूटकर शिवलिंग पर गिरे और उसकी पहले पहर का भी व्रत पूरा हुआ. इसी प्रकार शिकारी ने चार शिकार को माफ करता रहने से अनजाने में ही उसका शिवरात्रि व्रत पूरा हुआ. रात्रि जागरण भी हो गया. अनजाने में शिवरात्रि के व्रत का पालन करने पर भी शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई.