Masik Shivratri 2021: शास्त्रों और पुराणों में भगवान शिव की महिमा विशेष रूप से बताई गई है. भगवान शिव को आदि भी कहा जाता है और भोलेनाथ भी. कहते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करना बहुत आसान है. भाद्रपद महीने में भी भगवान शिव की अराधना करने का एक खास योग बन रहा है. इस दिन भगवान शिव का व्रत, पूजा आदि करके आप भी उनका आर्शीवाद पा सकते हैं और उन्हें प्रसन्न कर अपनी मनोरथ पूर्ण करवा सकते हैं. बता दें कि इस6 महीने 5 सितंबर, रविवार को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी. भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. इस दिन शिव भक्त उपवास रखकर, दिनभर भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत कथा (vrat katha) का पठन और श्रवण भर से ही जीवन में आने वाली समस्याएं दूर हो जाती हैं.
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri Shubh Muhurat)
05 सितंबर, रविवार को सुबह 08:23 मिनट और 26 सेकेंड पर चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी. भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि: 11:57 मिनट से, 06 सितंबर 2021, सोमवार को प्रात: 12:43 मिनट तक बना हुआ है. चतुर्दशी तिथि का समापन, 06 सितंबर को प्रात: 07:38 मिनट पर होगा.
मासिक शिवरात्रि व्रत कथा (masik shivratri vrat katha)
कहते हैं मासिक शिवरात्रि की कथा पाठन और श्रवण भर से ही जीवन की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. मासिक शिवरात्रि की कथा का जिक्र पुराणों में मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार चित्रभानु नाम का एक शिकारी साहूकार का कर्जदार था. वे अपने परिवार का पालन पोषण जंगल में जानवरों का शिकार करके करता था. साहूकार का समय से कर्ज न चुका पाने के कारण साहूकार ने उसे बंदी बनाकर शिवमठ में डाल दिया. उस दिन शिवरात्रि होने के कारण मठ में शिवरात्रि की व्रत कथा हो रही थी. शिकारी ने वो कथा बहुत ही ध्यान से सुनी. साहूकार द्वारा शाम को शिकारी से ऋण के बारे में पूछने पर उसने अगले दिन सारा ऋण देने की बात कही. शिकारी की ये बात सुनकर साहूकार ने उसे मुक्त कर दिया. शिकारी बंदी बने होने कारण उस समय काफी भूखा था. वे जंगल में शिकार की इंतजार में बैठा रहा, लेकिन अंधेरा होने के कारण उसे कुछ न मिल सका. शिकारी तालाब के किनारे शिवलिंग के पास एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात बीतने का इंतजार करने लगा. पड़ाव बनाते समय शिवलिंग पर ढेर सारे बेलपत्र टूटकर शिवलिंग पर गिरते गए. इस प्रकार अनजाने में दिनभर उनका व्रत हो गया, रात काटने के इंतजार में उसने शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ा दिए और रात्रि जागरण भी हो गया.
रात का एक पहर बीत जाने के बाद उसे गर्भिणी हिरणी दिखाई दी, लेकिन हिरणी के निवेदन पर शिकारी ने उसे छोड़ दिया, इसके बाद निवृत्त हिरणी और फिर बच्चों के साथ हिरणी आई लेकिन उसने सभी के निवेदन पर उन्हें छोड़ दिया. इस तरह शिकारी का पूरी रात का उपवास हो गया. इसके बाद सुबह के समय उसे एक मृग दिखाई दिया. उसने मृग का शिकार करने का फैसला किया. लेकिन मृग ने शिकारी से कहा कि अगर तुम मुझ से पहले तीनों हिरणियों का शिकार किया होता, तो मेरा भी शिकार कर लेते. परंतु अगर आपने उनको जीवन दान दिया है तो मुझे भी जीवनदान दे दो. शिकारी ने मृग को भी छोड़ दिया. इस प्रकार सुबह हो गई. शिवरात्रि पर उपवास, रात्रि जागरण, शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से अनजाने में ही सही पर शिकारी का शिवरात्रि का व्रत पूर्ण हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.
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