Masik Shivratri 2022: मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि कब? जानें महत्व, इस दिन शिव पूजा में न करें ये गलती
Masik Shivratri 2022: मार्गशीर्ष महीने में मासिक शिवरात्रि का व्रत 22 नवंबर 2022 को रखा जाएगा. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष में शिवोपसना का महत्व और मासिक शिवरात्रि के दिन क्या न करें.
Masik Shivratri 2022: शिव की प्रिय शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर मनाई जाती है जिसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं. इस बार अगहन महीने में मासिक शिवरात्रि का व्रत 22 नवंबर 2022 को रखा जाएगा. शिवरात्रि शिव और शक्ति के संगम का प्रतीक है. मान्यता है कि इस दिन शंकर-पार्वती की उपासना करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है. वहीं, कुंवारी कन्याएं ये व्रत सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए करती हैं. शास्त्रों में मार्गशीर्ष माह में शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष में शिवोपसना का महत्व और मासिक शिवरात्रि के दिन क्या न करें.
मार्गशीर्ष माह में शिव पूजा का महत्व
अनादि काल से ही मार्गशीर्ष महीने को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. वेदों के अनुसार, इसके नाम स्वरूप ये माह सभी महीनों में शीर्ष पर होने के कारण सबसे ज्यादा खास है. सतयुग में इसी महीने से नए साल की शुरुआत होती थी. इसे अगहन भी कहते हैं, अगहन यानी आगे रहने वाला अर्थात साल का पहला महीना माना जाता था. शिव पुराण के पार्वती खण्ड के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने में ही भगवान शिव-पार्वती का विवाह होना तय हुआ था. मान्यता है कि जो माह में मासिक शिवरात्रि के दिन शिव-शक्ति की उपासना करता है, उसका जीवन खुशियों से भर जाता है.
मासिक शिवरात्रि पूजा में न करें ये गलती
- मासिक शिवरात्रि की पूजा में शिव को गलती से भी तुलसी दल न चढ़ाएं. शंकर की पूजा में तुलसी वर्जित है. ऐसा करने पर शिव नाराज हो जाते हैं.
- मासिक शिवरात्रि से पूर्व रात में तामसिक भोजन (लहसून, प्याज, मांसाहार) और मदिरा के सेवन से दूर रहें.
- भोलनाथ संहार के देवता माने गए हैं, इन्हें वैरागी कहा जाता है. इस दिन पूजा में शिव को कुमकुम, हल्दी अर्पित न करें.
- अगर मासिक शिवरात्रि व्रत में चारों प्रहर की पूजा का संकल्प लिया है तो उसे पूरा करने के बाद ही व्रत खोलें. रात्रि जागरण करें और भोलेभंडारी को चारों प्रहर में अभिषेक करें. व्रत का संकल्प लेने के बाद उसे पूरा न करने पर पूजा व्यर्थ चली जाती है.
- इस दिन पूजा में काले रंग के वस्त्र न पहनें. इसे अशुभ माना जाता है. शिवलिंग को स्पर्श करते हुए जो प्रसाद चढ़ाया है उसे स्वंय ग्रहण न करें. इसे ब्राह्मण या फिर बाकी लोगों में बांट देना चाहिए.
- शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए सोना, चांदी या कांसे का पात्र ही इस्तेमाल में लें. स्टील-प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग ना करें.
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