Masik Shivratri 2022: शिवभक्ति के साथ होगी नए साल की शुरुआत, जानें मासिक शिवरात्रि की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Masik Shivratri 2022: भगवान शिव को मासिक शिवरात्रि अत्यंत प्रिय है. कहते हैं कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. नए साल की शुरुआत शिव जी के आशीर्वाद से होगी.
Masik Shivratri 2022: भगवान शिव (Lord Shiva) को मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) अत्यंत प्रिय है. कहते हैं कि मासिक शिवरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Vrat) रखने से भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसे में नए साल की शुरुआत भगवान शिव के आशीर्वाद के साथ ही होगी. इस बार 1 जनवरी 2022 को मासिक शिवरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Vrat On 2022) रखा जाएगा. साल के पहले दिन भगवान शिव के पूजन (Lord Shiva Pujan) का विशेष संयोग बन रहा है.
मासिक शविरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Vrat) कृष्ण पक्ष के दौरान चतुर्दशी तिथि के दिन रखा जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) की मध्यरात्रि में भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. बता दें कि शिव लिंग पूजा सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने की थी. ये व्रत हर महीने की चतुर्दशी के दिन रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
अगर कोई व्यक्ति मासिक शविरात्रि के व्रत शुरू करना चाहता है, तो वे महाशिवरात्रि के दिन से इन व्रतों को शुरू किया जा सकता है. साथ ही, इसे एक साल तक जारी रखा जा सकता है. अविवाहित महिलाएं विवाह के लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Vrat) रखती हैं. वहीं, विवाहित महिलाएं शादीशुदा जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए ये व्रत रखती हैं.
मासिक शिवरात्रि तिथि (Masik Shivratri Tithi)
हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथिः 1 जनवरी 2022 को प्रात: 7 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर, 2 जनवरी 2022, रविवार को प्रात: 3 बजकर 41 मिनट तक है.
मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त (Masik Shivratri Puja Muhurat 2022)
मासिक शिवरात्रि का पूजा का शुभ मुहूर्त 01 जनवरी, शनिवार को रात 11 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर, देर रात 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा.
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मासिक शिवरात्रि पूजा विधि (Masik Shivratri Puja Vidhi)
मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि की पूजा आधी रात में की जाती है. इसे निशिता काल कहा जाता है. इसकी शुरुआत भगवान शिव की मूर्ति या शिव लिंग के अभिषेक से की जाती है. भोलेनाथ को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, सिंदूर, हल्दी पाउडर, गुलाब जल और बेल के पत्ते चढ़ाए जाते हैं. इसके बाद भगवान शिव की आरती या भजन गाए जाते हैं और शंख बजाया जाता है. इसके बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है. बता दें कि शिवरात्रि के व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है.
मासिक शिवरात्रि मंत्र
मान्यता है कि व्रत के दौरान ॐ नमः शिवाय का जाप करना काफी शुभ माना जाता है.
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