Masik Shivratri: इस दिन है आषाढ़ मास की मासिक शिवरात्रि, इस शुभ मुहूर्त में पढ़ें यह व्रत कथा, पूरे होंगे आपके मनोरथ
Masik Shivratri July 2021: आषाढ़ महीने की मासिक शिवरात्रि कल यानी 8 जुलाई को है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से गृहस्थ जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं.
Masik Shivratri July 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक शिवरात्रि हर माहीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. आषाढ़ मास की मासिक शिवरात्रि 8 जुलाई यानी कल है. इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करते हैं और व्रत का पठन या श्रवण करते हैं. मान्यता है कि इस व्रत कथा के पढ़ने से गृहस्थ जीवन में आने वाली सभी समस्याएं दूर होती हैं.
मासिक शिवरात्रि की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, पूर्व काल में चित्रभानु नामक एक शिकारी जानवरों की हत्या करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था. वह एक साहूकार का कर्जदार था. समय पर ऋण न दे पाने के कारण साहूकार ने शिकारी को बंदी बनाकर शिवमठ में डाल दिया. संयोग वश इस दिन शिवरात्रि थी. मठ में हो रही शिवरात्रि व्रत कथा को उसने बहुत ध्यान से सुना. जब शाम को साहूकार ने शिकारी से ऋण के बाबत पूंछा तो उसने अगले दिन सारा ऋण देने की बात कही. तो साहूकार ने शिकारी को बंधन मुक्त कर दिया. बंदी होने के कारण शिकारी बहुत भूखा था. शिकार की तलाश में जब अंधकार हो गया तो उसने रात जंगल में ही बिताने का फैसला किया. वह तालाब के किनारे शिवलिंग के पास एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात बीतने का इंतजार करने लगा. पड़ाव बनाते समय शिवलिंग पर ढेर सारे बेलपत्र टूटकर शिवलिंग पर गिरते गए. इस प्रकार अनजाने में दिन भर से भूख-प्यास से व्याकुलशिकारी का व्रत भी होगया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गया और उसका रात्रि जागरण भी होता रहा.
एक पहर रात्रि बीत जाने पर सबसे पहले एक गर्भिणी हिरणी, उसके बाद ऋतु से निवृत्त हिरणी और फिर अपने बच्चों के साथ हिरणी के निवेदन पर शिकारी ने इन सबका शिकार न करके इन्हें मुक्त कर दिया. इस प्रकार शिकारी का रात्रि के तीनों पहर का व्रत हो गया. सुबह उसने एक मृग देखा, शिकारी ने इसका शिकार करने का फैसला लिया. इस पर मृग ने कहा हे शिकारी यदि तुम मुझे से पहले तीनों हिरणियों क शिकार किया होता तो मेरा भी शिकार कर लेते. परंतु आपने जैसे उनको जीवन दान दिया है, वैसे मुझे भी जीवनदान देने की कृपा करो. शिकारी ने मृग को भी छोड़ दिया. इस प्रकार सुबह हो गई. उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से अनजाने में ही पर शिवरात्रि की पूजा पूर्ण हो गई. इससे शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई.