शिव मंत्र और शिव आरती से करें भगवान भोलेनाथ की पूजा, बनी रहेगी कृपा
भगवान शिव ऐसे देवता है जो अपने भक्त से सदा ही प्रसन्न रहते हैं. इसीलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा गया है,क्योंकि भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को प्रसन्न करने का ऐसा ही एक विशेष दिन है.
मंत्र और आरती से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. 21 अप्रैल को मासिक शिवरात्रि है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
भगवान शिव को संहार का देवता माना गया है. भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं. वेद और पुराणों के अनुसार अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है. भगवान शिव ही सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति हैं. त्रिदेवों में भोलेनाथ को संहार के देवता माना गया है. मान्यताओं के अनुसार शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं. ज्योतिषशास्त्र का आधार भी भगवान शिव ही हैं.
भगवान शिव के प्रमुख मंत्र -
मनोवांछित फल के लिए शिव मंत्र नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय. नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:. मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:. शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय. श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:. अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्. अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्.
निरोग रहने का शिव मंत्र सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्. भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये. कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय. सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे.
शाबर मंत्र ॐ शिव गुरु गोरखनाथाय नमः. महामृत्युंजय मंत्र ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्. उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्.शिव आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा. ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा. ॐ जय शिव... एकानन चतुरानन पंचानन राजे. हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे. ॐ जय शिव... दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे, त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे. ॐ जय शिव... अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी. चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी. ॐ जय शिव... श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे. सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे. ॐ जय शिव... कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता. जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता. ॐ जय शिव... ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका. प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका. ॐ जय शिव... काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी. नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी. ॐ जय शिव... त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे.