Matsya Jayanti 2024 Date: हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार का वर्णन है. भगवान विष्णु का यह अवतार एक बड़ी मछली का अवतार है.
भगवान विष्णु के 24 अवतार बताए गए हैं. इनमें से 23 अवतार पृथ्वी पर आ चुके हैं और 24वां अवतार 'कल्कि अवतार' के रूप में होना बाकी है. उनमे से एक अवतार है मत्सय अवतार है.
भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार में पृथ्वी को जल प्रलय से बचाया था. साथ ही, उन्होंने हयग्रीव नाम के दैत्य का वध किया था. हयग्रीव ने वेदों को चुराकर समुद्र की गहराई में छिपा दिया था. इस तरह से मत्स्य अवतार में प्रकट होकर भगवान विष्णु ने वेदों की रक्षा की. मत्स्य अवतार को भगवान विष्णु का पहला अवतार कहा जाता है.
मत्स्य जयंती हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्स्य जयंती मनाई जाती है. साल 2024 में मत्स्य जयंती 11 अप्रैल, बृहस्पतिवार के दिन पड़ रही है. इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु के मत्स्य अवसार की पूजा अर्चना की जाती है.
मत्स्य जयंती तिथि (Matsaya Jayanti 2024 Tithi)
- तृतीया तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 10, 2024 को 17:32 बजे
- तृतीया तिथि समाप्त - अप्रैल 11, 2024 को 15:03 बजे
- मत्स्य जयन्ती मुहूर्त दोपहर 1:39 से शाम 4:12
- अवधि - 02: 33 मिनट्स
इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. संयोग से मत्स्य जयंती के दिन बृहस्पतिवार यानि गुरूवार का दिन पड़ रहा है. गुरुवारक विष्णु जी की पूजा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है.
मत्स्य जयंती महत्व (Matsya Jayanti 2024 Importance)
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, हयग्रीव नामक राक्षस से पृथ्वी की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने विशालकाय मत्स्य (मछली) का अवतार लिया था. मछली का रूप धारण कर भगवान ने दैत्य पुत्र से पुन: वेदों को प्राप्त किया था.
इसलिए इस दिन व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान, पूजा और व्रत से तन और मन की शुद्धि होती है और कष्ट दूर हो जाते हैं.
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