ध्यान करना काफी अहम माना जाता है. वहीं ध्यान सूर्य स्मरण आत्मिक बल को बढ़ाता है. यह जिम्मेदारी का भाव बढ़ाता है. सूर्य का ध्यान मंत्र सूर्याेदय की पहली घटी में ध्यान में बैठकर पढ़ा जाना सर्वाधिक श्रेष्ठ माना जाता है. एक घटी में 24 मिनट होते हैं. वहीं सहज आसन और पद्मासन में बैठकर सूर्य ध्यान मंत्र का पाठ करने दैहिक व्याधियों का नाश होता है. कुडलिनी शक्ति को बल मिलता है. वहीं सूर्यदेव का इस मंत्र से ध्यान करना चाहिए...
पद्मासनः पद्मकरः पद्मगर्भः समद्युतिः।
सप्तश्चः सप्तज्जुश्च द्विभुजः स्यात् सदारविः।।
उत्तरायण सूर्य में स्नान दान और ध्यान का महत्व अत्यधिक रहता है. सूर्याेपासना से न्यायिक मामलों में सफलता मिलती है. प्रमोशन और अन्य प्रशासन प्रबंधन से लाभ के इच्छुक जन सूर्य ध्यान कर सकते हैं. सूर्य को अग्नि के कारक हैं. सूखे मेवे नारियल मिश्री आदि सूर्यदेव को अर्पित करें. सूर्य को अर्घ्य देते समय भी यह मंत्र प्रयोग में लाया जा सकता है.
वहीं सूर्याेपासना का आरंभ रविवार से आरंभ करें. ऐसे जातक जिनकी कुंडली मेष, सिंह और धनु लग्न अथवा राशि वाली है, उन्हें सूर्य ध्यान से सर्वाधिक लाभ प्राप्त होते हैं. आध्यात्मिक क्षेत्र में भी सूर्य प्रभावकारी है. पैतृक मामलों में सफलता देने वाला है. सूर्य उपासकों मे पिता के प्रति विशेष आदरभाव होता है. उन्हें नित्यप्रति पिता के चरण स्पर्श करना चाहिए. धूप में ध्यान से करने बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं. भोर में प्रथम को प्राथमिकता दें.