Merry Christmas: क्रिसमस पर क्यों सजाते हैं क्रिसमस ट्री, नहीं जानते तो इसे पढ़ें
क्रिसमस के पर्व पर घरों में क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा है. इसके अलावा आफिसों और अन्य जगहों पर क्रिसमस ट्री सजाने का चलन है. क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा सबसे पहले जर्मनी में शुरू हुई.
नई दिल्ली: क्रिसमस का पर्व कल है. हर जगह क्रिसमस की धूम दिखाई दे रही है. इस त्योहार के नजदीक आते ही घर या फिर ऑफिस हर जगह क्रिसमस का रंग दिखाई देने लगता है. क्रिसमस का पर्व खुशियां लेकर आता है. इस दिन ईसा मसीह का जन्म दिन होता है. उनके जन्मदिन की खुशी में क्रिसमस पूरी दुनिया में मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि क्रिसमस से जुड़ी खास बातें-
क्रिसमस ट्री का इतिहास
क्रिसमस पर एक खास तरह के वृक्ष को सजाया जाता है जिसे क्रिसमस ट्री के नाम से जाना जाता है. क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरूआत दुनिया में सबसे पहले जर्मनी से हुई थी. क्रिसमस ट्री समृद्धि का प्रतीक है. जिन घरों में यह ट्री स्थापित होता है उस घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है जिसका प्रभाव घर के सभी सदस्यों पर पड़ता है. क्रिसमस ट्री को सदाबहार डगलस, बालसम या फर भी कहा जाता है. इसे क्रिसमस के मौके पर खूब सजाया जाता है. इसमें गिफ्ट, घंटियां, खिलौने जैसी चीजों को बांधा जाता हैं.
ईसा मसीह के जन्म से जुड़ा है क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ट्री को लेकर माना जाता है कि जब ईसा मसीह का जन्म हुआ तब सभी देवताओं ने ईसा मसीह के माता पिता को बधाई दी. देवताओं ने उनके जन्मदिन की खुशी में सदाबहार के पेड़ को सितारों और चमकीली चीजों से सजाया था तभी से क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा चली आ रही है. क्रिसमस डे पर घरों में सजाने वाला क्रिसमस ट्री इसी का प्रतीक है. इसे सजाने और लोकप्रिय बनाने का श्रेय बोनिफस टुयो को जाता है जो एक धर्म प्रचारक थे.
क्रिसमस ट्री को दाहिने तरफ रखें
घर या ऑफिस में जब भी क्रिसमस ट्री लगाए तो हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वह दाहिने ओर ही हो. इसे खूब अच्छे ढंग से सजाना चाहिए और क्रिसमस ट्री खाली खाली नहीं दिखना चाहिए. क्रिसमस ट्री जितना भरा हुआ नजर आएगा उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोत्तरी होगी ऐसी माना जाता है.