Mesh Sankranti 2023: मेष संक्रांति कब? जानें हिंदू नववर्ष की पहली संक्रांति का महत्व, इस दिन खत्म होंगे खरमास
Mesh Sankranti 2023: सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं उस दिन मेष संक्रांति मनाई जाती है, ये हिंदू नववर्ष की पहली संक्रांति होती है. जानते हैं इस साल मेष संक्रांति की डेट, मुहूर्त और महत्व.
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Mesh Sankranti 2023: पंचांग के अनुसार जब सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं उस दिन हिंदू नववर्ष की पहली संक्रांति मनाई जाती है. इसे मेष संक्रांति के नाम से जाना जाता है. मेष संक्रांति आमतौर पर वैशाख और अप्रैल माह में आती है. हिंदू धर्म में मेष संक्रांति का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन एक महीने के खरमास की समाप्ति होती है और मांगलिक कार्य पुन: शुरू हो जाते हैं. आइए जानते हैं इस साल मेष संक्रांति की डेट, मुहूर्त और महत्व.
मेष संक्रांति 2023 डेट (Mesh Sankranti 2023 Date)
साल 2023 में मेष संक्रांति 14 अप्रैल 2023 को मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है. सूर्य किसी भी राशि में एक माह तक विराजमान रहते हैं. इस दिन अंबेडकर जयंती का पर्व भी मनाया जाएगा.
मेष संक्रांति 2023 मुहूर्त (Mesh Sankranti 2023 Muhurat)
मेष संक्रांति के दिन 14 अप्रैल को सूर्य देव दोपहर 03 बजकर 12 मिनट पर मेष राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के गोचर से सभी राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है. मेष संक्रांति के दिन स्नान-दान, मंत्र साधना करने का विधान है. इस दिन पुण्य काल में जल दान करने से सभी देवी-देवता और पितर प्रसन्न होते हैं.
- मेष संक्रान्ति पुण्य काल - सुबह 10:55 - शाम 06:46, अवधि - 07 घण्टे 51 मिनट
- मेष संक्रान्ति महा पुण्य काल - दोपहर 01:04 - शाम 05:20, अवधि - 04 घण्टे 16 मिनट
मेष संक्रांति का महत्व (Mesh Sankranti Significance)
हिंदू धर्म में मेष संक्रांति बहुत खास मानी गई है, क्योंकि सौर वर्ष का आरंभ मेष संक्रांति से ही होता है. इस दिन तीर्थ स्नान करने से महापाप भी धुल जाते हैं. इस संक्रांति को दान, तिल द्वारा पितरों का तर्पण और मधुसूदन भगवान की पूजन करना श्रेयस्कर है. मेष संक्रांति से मांगलिक विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुरू हो जाते हैं. इसके बाद नए काम की शुरुआत कर सकते हैं. मेष संक्रांति को भारत के कई राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. पंजाब में बैसाखी, आसाम में बोहाग बिहू, बिहार में सतुआनी, तमिलनाडु में पुथांदु, पश्चिम बंगाल में पोइला बैसाख, ओडिशा में पना संक्रांति, केरल में विशु के नाम से जाना जाता है.
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