Lord Shiva, Shiv Shakti Aksh Rekha, Kedarnath to Rameshwaram in India: सभी ज्योतिर्लिंग का केंद्र उज्जैन के महाकालेश्वर को माना जाता है. प्राचीन समय में इसी स्थान से पूरे विश्वभर का समय निर्धारित होता था. बाद में जब पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा कर्क का निर्धारण हुआ तब उस रेखा का मध्य उज्जैन निकाला गया.


पूरे भारत में बने शिव मंदिर और ज्योतिर्लिंगों से कुछ न कुछ मान्यताएं जुड़ी है और सभी से कुछ रहस्य भी जुड़े हैं. ठीक इसी तरह उत्तराखंड के केदारनाथ और दक्षिण भारत के रामेश्वरम के बीच भी गहरा रहस्य है. केदारनाथ और रामेश्वरम दोनों शिव मंदिर है. केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच की दूरी लगभग 2,382 किलोमीटर है और दोनों ज्योतिर्लिंगों के बीच 7 ऐसे शिव मंदिर हैं, जोकि प्राचीन और अद्भुत हैं.



गौर करने वाली बात तो यह है कि ये सभी 7 मंदिर एक ही सीधी रेखा में हैं. वहीं इसमें 5 ऐसे मंदिर हैं जिन्हें पंच भूत कहा गया है, जो सृष्टि के पांच तत्वों (जल, अग्नि, वायु, आकाश और धरती) का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये देशांतर रेखा (लॉन्गिट्यूड) पर 79 डिग्री पर मौजूद हैं.


महज संयोग नहीं हो सकते एक ही सूत्र में बंधे ये 7 शिव मंदिर


इन 7 शिव मंदिरों का एक ही सीधी रेखा में होना महज संयोग नहीं हो सकता. क्योंकि इन मंदिरों का निर्माण लगभग 4 हजार पूर्व में किया गया था. उस समय स्थान के अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए कोई तकनीक आदि उपलब्ध नहीं थी. लेकिन इसके बावजूद यौगिक गणना के आधार पर ये मंदिर बनाए गए.


लॉन्गिट्यूड के अनुसार ये सभी मंदिर एक ही कतार में हैं. लेकिन सभी मंदिरों की स्थापना अलग-अलग काल में हुई है. ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि क्या किसी विशेष विचार के साथ मंदिरों की स्थापना हुई होगी या यह महज एक संयोग है. कारण जो भी कुछ रहा हो लेकिन यह कहा जा सकता है कि जब इन मंदिरों की स्थापना की गई होगी, तब अक्षांश और देशांतर का ध्यान जरूर रखा गया होगा.


बता दें कि इन मंदिरों की स्थापना न केवल अक्षांश और देशांतर बल्कि वास्तु सिद्धांतों के अनुसार भी की गई है. एक ही रेखा में बने इन 7 शिव मंदिरों को ‘शिव शक्ति अक्ष’ रेखा भी कहा जाता है. रेखा के एक छोर पर उत्तर में केदारनाथ और दक्षिण में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है. यह शिव रेखा उत्तर को दक्षिण से जोड़ती है.


भारत में कहां से कहां तक गुजरती है 'शिव रेखा' और कितनी है दूरी



  • केदारनाथ: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ मंदिर स्थित है. इसे अर्द्धज्योतिर्लिंग कहा जाता है. यह मंदिर 79.0669 डिग्री लांगिट्यूड पर स्थित है. मंदिर का निर्माण जन्मेजय ने कराया था और जीर्णोद्धार आदिशंकराचार्य ने किया था.

  • कालेश्वर: तेलंगाना के करीमनगर जनपद में स्थित कालेश्वरम् मंदिर में शिव को त्रिलिंगदेशम् यानी 3 लिंगों की भूमि के के रूप में पूजा जाता है. यहां 2 शिवलिंग हैं जिन्हें शिव और यम का प्रतीक माना गया है. ये मंदिर 79.54' 23' E लांगिट्यूड पर स्थित है.

  • श्रीकालाहस्ती मंदिर: आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के श्रीकालाहस्ती नामक स्थान पर यह मंदिर स्थित है, जोकि तिरुपति से महज 36 किलोमीटर की दूरी पर है. इस मंदिर को पांच तत्वों में वायु तत्व के लिए जाना जाता है. यह मंदिर 79.6983 डिग्री E लांगिट्यूड पर स्थित है.

  • एकम्बरेश्वर मंदिर: इस मंदिर में शिवजी को धरती तत्व के रूप में पूजा जाता है. कहा जाता है कि इस शिव मंदिर को पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया गया था. लेकिन बाद में चोल और विजयनगर के राजाओं ने इसमें सुधार किए. यह मंदिर 79.42'00' E लांगिट्यूड पर स्थित है.

  • अरुणाचल मंदिर: इस मंदिर का निर्माण तमिल साम्राज्य के चोलवंशी राजाओं द्वारा कराया गया था. यह मंदिर 79.0677 E डिग्री लांगिट्यूड पर स्थित है. 

  • श्री थिल्लई नटराज मंदिर: तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित इस मंदिर को आकाश तत्व के लिए जाना जाता है. यहां भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा होती है. यह मंदिर 79.6935 E डिग्री लांगिट्यूड पर स्थित है. 

  • रामनाथ स्वामी मंदिर, रामेश्वरम: रामेश्वरम स्थित इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना भगवान श्रीराम ने की थी और मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी. यह सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह मंदिर 79.3174 E डिग्री लांगिट्यूड पर स्थित है.


ये भी पढ़ें: Mahabharat: दुर्योधन की पत्नी का क्या नाम था, आज भी इसके नाम पर शहर-गांव में कही जाती है ये कहावत






Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.