Mithun Sankranti 2023: साल के इन 3 दिनों में सिलबट्टे का नहीं किया जाता है प्रयोग, पीरियड्स से है इसका संबंध
Mithun Sankranti 2023: मिथुन संक्रांति से जुड़ी कथा के अनुसार, धरती मां को भी तीन दिनों तक मासिक धर्म होता है, जिसे धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है. इस दौरान सिलबट्टे की पूजा का भी महत्व होता है.
Mithun Sankranti 2023: नवग्रहों के राजा सूर्य देव 15 जून 2023 को वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर (Surya Gochar 2023) करेंगे. जब सूर्य मिथुन राशि मे गोचर करते हैं तो इसे मिथुन संक्रांति (Mithun Sankranti) के नाम से जाना जाता है. इस तरह से पूरे साल में कुल 12 संक्रांति होती हैं.
लेकिन सभी संक्रांति में मिथुन संक्रांति का खास महत्व होता है. मिथुन संक्रांति की कथा के अनुसार, यह वही दिन है, जब धरती मां को तीन दिनों के लिए मासिक धर्म हुआ था. मां धरती के तीन दिनों के मासिक धर्म को पृथ्वी के विकास का प्रतीक माना जाता है.
धरती मां को होता है मासिक धर्म
महिलाओं का मासिक धर्म या पीरियड्स होना प्रकृति द्वारा दिया गया वरदान होता है. इसी वरदान के कारण महिला को मातृत्व सुख प्राप्त होता है. मिथुन संक्रांति की कथा के अनुसार, भूदेवी या धरती मां को भी शुरुआत के तीन दिनों तक मासिक धर्म हुआ था. भूदेवी भगवान विष्णु की दिव्य पत्नी हैं और उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में भूदेवी की चांदी की प्रतिमा विराजमान है.
उड़ीसा में मां धरती के मासिक धर्म का जश्न धूमधाम के साथ पूरे तीन दिनों तक मनाया जाता है. इसे राजा पर्व (Raja Parba 2023) या रज पर्व के नाम से जाना जाता है. इस पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि, रजस्वला यानी मासिक धर्म से धरती मां मानसून की खेती के लिए खुद को तैयार करती है. इस दौरान धरती मां की पूजा होती है और शुद्धिकरण भी किया जाता है.
मिथुन संक्रांति के दिन करें सिलबट्टे की पूजा
कहा जाता है कि सिलबट्टे में मां धरती का वास होता है. इसलिए जब मां धरती को मासिक धर्म होता है तो पूरे तीन दिनों तक सिलबट्टे का प्रयोग नहीं किया जाता है. चौथे दिन सिलबट्टे पर जल और दूध से अभिषेक किया जाता है. इसे वसुमति गढ़वा कहते हैं. इसके बाद सिंदूर, चंदन, फल, फूल चढ़ाने और धूप-दीप जलाने के बाद ही सिलबट्टे का प्रयोग फिर से किया जा सकता है. इन तीन दिनों में सिलबट्टे का प्रयोग नहीं करना चाहिए. लेकिन आप पूजा-पाठ के लिए सिलबट्टे का प्रयोग कर सकते हैं. मिथुन संक्रांति पर सिलबट्टे की पूजा करने से कई परेशानियां दूर होती है और मनोकामना पूर्ति होती है.
मिथुन संक्रांति के दिन गंगा स्नान के बाद सिलबट्टे की पूजा करने से निसंतान महिलाओं की सूनी गोद जल्द ही भर जाती है. जिन कन्याओं का विवाह किसी कारण नहीं हो रहा है वो मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे की पूजा करे. इससे मनचाहा वर मिलता है. साथ ही इस दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि भी दी जाती है.
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