Mohini Ekadashi 2021: इस दिन है मोहिनी एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पारण एवं पूजा विधि
Mohini Ekadashi 2021 Vrat: मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है. मोहनी एकादशी व्रत रखने से व्रतधारी के पापों का अंत होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
Mohini Ekadashi 2021 Puja Vidhi: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक़, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं. हिंदू धर्म ग्रंथ की मान्यताओं के अनुसार इसी दिन श्रीहरि ने समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया था. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है. इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मोहनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का अंत होता है और व्यक्ति धीरे –धीरे मोहजाल से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है. आइये जानें शुभ मुहूर्त और इसकी पूजा विधि.
मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारम्भ: 22 मई 2021 को 09 : 15 एएम बजे से.
- एकादशी तिथि समाप्त: 23 मई 2021 को 06 : 42 एएम बजे तक
- पारण का शुभ मुहूर्त : 24 मई सुबह 05: 26 बजे से सुबह 08:10 बजे तक
मोहिनी एकादशी व्रत की विधि
मोहिनी एकादशी का व्रत रखने का नियम व्रत वाले दिन के पहले वाली रात से ही शुरू हो जाता है. अर्थात एकादशी का व्रत दशमी की रात से शुरू होता है. इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन करें. भोग-विलास की भावना त्यागकर भगवान विष्णु के स्मरण में लग जाये.
अब एकादशी के दिन सुबह उठकर नित्यकर्म स्नानादि से निवृत होकर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल पर बैठकर पूजा की चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. अब भगवान नारायण का विधि विधान से पूजन करें. इसके बाद चंदन, अक्षत, पंचामृत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और फल आदि भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करें. इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और मोहिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करके क्षमा याचना करें. तत्पश्चात विसर्जन कर साष्टांग प्रणाम कर पूजा समाप्त करें. इसके बाद अब दिन भर मोहिनी एकादशी व्रत के नियमों का पालन करें और अगले दिन शुभ मुहूर्त में एकादशी व्रत का पारण करें.
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक़, एकादशी के दिन गीता का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. इस लिए उपासक को दिन में शांति से गीता का पाठ करना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करते रहना चाहिए.