Mohini Ekadashi: राजा के दुराचारी पुत्र का इस व्रत को रखने से बदल गया मन, जानें महत्व
पूजा और व्रत की शक्ति से व्यक्ति का मन बदल सकता है. दुराचारी और पाप कर्मों से युक्त व्यक्ति भी यदि व्रत रखता है तो उसका हृदय परिवर्तित हो जाता है. मोहिनी एकादशी ऐसा ही एक व्रत है. आइए जानते हैं इस व्रत की महिमा के बारे में-
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Ekadashi 2020: 3 मई 2020 से एकादशी की तिथि का आरंभ हो रहा है. यह तिथि बहुत ही विशेष है. इस तिथि को ही मोहिनी एकादशी कहा जाता है. 4 मई 2020 को मोहिनी एकादशी की पूजा है.
मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने देवताओं को अमर बनाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था. समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत का कलश निकला तो असुरों और देवताओं में विवाद शुरू हो गया, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करने का निश्चिय किया और असुरों के हाथ से अमृत लेकर देवताओं को इसका पान करा दिया.
मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. यह व्रत उन लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी माना गया है जिन्हें मानसिक तनाव की स्थिति बनी रहती है. निर्णय लेने में परेशानी आती है. भ्रम की स्थिति रहती है. इन समस्याओं से जूझ रहे लोगों को मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत लाभ प्रदान करता है.
दुराचारी राजा का हृदय बदल गया एक पौराणिक कथा के अनुसार एक राजा था. उसके कई पुत्र थे. जिसमें से एक बहुत ही दुराचारी था. पुत्र के इन कृत्यों से परेशान होकर राजा ने इस पुत्र को राज महल से निकाल दिया. यह जंगल की ओर चल दिया. जंगल पहुंचकर उसने उसी तरह के कृत्य आरंभ कर दिए. वह पशु- पक्षियों, यात्रियों और ऋषि-मुनियों के साथ भी गलत व्यवहार करने लगा, उन्हें परेशान करता और कार्य में बाधा उत्पन्न करता. एक दिन उसकी भेंट एक तपस्वी ऋषि से हुई. इन ऋषि के संपर्क में आने से राजा के पुत्र का हृदय बदलने लगा. वह अपने किए गए कार्यों पर प्रायश्चित करने लगा, तब ऋषि ने उसे मोहिनी एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा. इस व्रत के प्रभाव से उसका हृदय कोमल हो गया. विचारशील बन गया. इस प्रकार से उसका पूरा जीवन ही बदल गया.
Mohini Ekadashi: भगवान विष्णु ने इस दिन धारण किया था मोहिनी रूप, जानें शुभ-मुहूर्त, पूजा विधि और कथा
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