Mohini Ekadashi 2020: एकादशी के सभी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इसीलिए इन व्रतों को सभी प्रकार के व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. 3 मई से एकादशी तिथि का आरंभ होने जा रहा है. इस तिथि को पड़ने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है.


भगवान विष्णु क्यों लेना पड़ा मोहिनी का स्वरूप
एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन की प्रक्रिया चल रही है. मंथन से जब अमृत कलश निकला तो उसे असुरों ने ले लिया. इससे देवताओं और असुरों के बीच तनाव और विवाद की स्थिति पैदा हो गई. इस स्थिति को देखते हुए तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरा और असुरों के बीच पहुंच गए.


भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर असुरा मोहित हो उठे और अमृत कलश उनके हाथों में सौंप दिया. जिसे बाद में भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को पिता दिया. जिससे देवतागण अमर हो गए.


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विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
ऐसी मान्यता है कि विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करते हैं. वहीं जीवन में आने वाली परेशानियों को भी दूर करने में विष्णु सहस्त्रनाम को बहुत प्रभावी माना गया है. इसमें भगवान विष्णु के सभी नामों को मिश्रण है.


भगवान विष्णु को इस एक मंत्र से प्रसन्न करें
नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे.
सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:.


मंत्र जाप की विधि
इस मंत्र का नित्य जाप संभव है. लेकिन फिर भी मान्यता है कि अगर इस मंत्र का जाप गुरुवार के दिन किया जाए तो अच्छे फल प्राप्त होते हैं.


इन लोगों के लिए है लाभकारी
जो लोग व्रत नहीं रख सकते हैं उनके लिए यह मंत्र बहुत ही उपयोगी है. मोहिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थान पर बैठकर पूरी श्रद्धा से इस मंत्र का जाप करें.


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