Mohini Ekadashi 2020: मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत ही पवित्र व्रत है. इस व्रत के दौरान विधि विधान और अनुशासन का बहुत महत्व है. भगवान विष्णु अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं. इसीलिए भगवान विष्णु को हरि भी कहा जाता है. जो हर दुखों को हर लेता है.


सभी व्रतों में एकादशी के व्रत को विशेष माना गया है. यह व्रत व्यक्ति को मोक्ष और पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत माना जाता है. इसीलिए यह सबसे अधिक रखा जाना वाला व्रत है. संपूर्ण भारत में इस व्रत को रखने की परंपरा है. महिलाएं इस व्रत को रखकर तिथि के समापन होने तक भगवान विष्णु की आराधना में लीन रहती हैं.


एकादशी तिथि कब प्रारंभ होगी
मोहिनी एकादशी की तिथि का आरंभ 3 मई को होगा. 3 मई को यह तिथि 9 बजकर 9 मिनट से प्रारंभ होगी. एकादशी के व्रत में व्रत का समापन बहुत ही महत्पूर्ण होता है. इसे पारण कहते हैं यानि व्रत तोड़ने या खोलने का समय. मोहिनी एकादशी के पारण की बात करें तो पारण का समय 5 बजकर 41 मिनट से 8 बजकर 20 मिनट तक है. इस बीच कभी भी पारण किया जा सकता है. इस दिन हरि वासर समाप्त होने का समय 11 बजकर 22 मिनट पर है. इस प्रकार एकादशी की तिथि 4 मई को 6 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी.



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पारण कब किया जाता है
एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण यानि व्रत समाप्त किया जाता है. एकादशी व्रत का समापन द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना चाहिए.


हरि वासर का समय
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए. हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को माना जाता है.


व्रत खोलने का सही समय
व्रत खोलने का सबसे अच्छा समय समय प्रात:काल को माना गया है.


इस समय न खोलें व्रत
मध्याह्न के दौरान व्रत नहीं खोलना चाहिए. अगर किन्ही वजहों से सुबह के समय व्रत समाप्त नहीं कर पाएं हैं तो मध्याह्न के बाद पारण किया जा सकता है.


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