Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी का व्रत दिलाता है जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति, यहां पढ़ें व्रत की कथा
Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी का व्रत 3 दिसंबर 2022 शनिवार को रखा जाएगा. व्रत में पूजा के दौरान मोक्षदा एकादशी की कथा के बिना पूजन अधूरा माना जाता है. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी की कथा.
Mokshada Ekadashi 2022 Date and Time: मोक्षदा एकादशी का व्रत जीवन तमाम परेशानियों को दूर करने वाला माना गया है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का व्रत 3 दिसंबर 2022, शनिवार को रखा जाएगा और द्वादशी तिथि पर यानी कि 4 दिसंबर 2022 को दोपहर 01.20 मिनट से दोपहर 03.27 इसका व्रत पारण किया जाएगा.
ये एकादशी व्यक्ति को सांसारिक मोह के बंधन से मुक्ति और पितरों को मोक्ष दिलाने वाली मानी जाती है. हर एकादशी कथा का विशेष महत्व है. व्रत में पूजा के दौरान मोक्षदा एकादशी की कथा के बिना पूजन अधूरा माना जाता है. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी की कथा.
मोक्षदा एकादशी कथा (Mokshada Ekadashi Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार चंपा नगरी में राजा वैखानस का राज था. नगर की जनता राजा की प्रजा के प्रति न्याय व्यवस्था से बहुत खुश थी. वह अपनी जनता है पूरा ख्याल रखते थे. एक रात राजा ने सपने में देखा की उनके पूर्वज नरक की प्रताड़ना झेल रहे हैं. पितरों की स्थिति का जानकर वह बहुत दुखी हुआ. सुबह होते ही उन्होंने राज्य के पुरोहित को बुलाकर पूर्वजों की मुक्ति का उपाय पूछा. ब्राह्मणों ने कहा कि इस समस्या का हल पर्वत ऋषि ही निकाल सकते हैं.
मोक्ष का मार्ग दिखाती है ये एकादशी
राजा वैखानस राज पुरोहित की बात सुनते ही पर्वत ऋषि के आश्रम पहुंचे और नरक भोग रहे पितरों की मुक्ति का मार्ग जानने का आग्रह किया. महात्मा पर्वत ने बताया कि उनके पूर्वज ने अपने पिछले जन्म में एक पाप किया था, जिस कारण वो नर्क की यातनाएं भोग रहे हैं. ऋषि बोले मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी पर श्रीहरि विष्णु का विधि पूर्वक व्रत, और दान करें. इस व्रत के प्रभाव से पितर नरक से मुक्त हो जाएंगे. मोक्षदा एकादशी पर राजा ने मुनि के कहे अनुसार पूरी विधि का पालन किया जिसके परिणाम स्वरूप पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हुआ और जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल गई.
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