Mokshada Ekadashi 2021: मोक्षदा एकादशी पर भूलकर न करें ये गलतियां, नष्ट हो जाएंगी व्रत की सिद्धियां
Mokshada Ekadashi 2021:मोक्षदा एकादशी साल की अंतिम एकादशी है. इस बार यह 25 दिसंबर को पड़ेगी. मान्यता है कि यह एकादशी व्रत मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है, जिसके लिए कुछ नियमों का पालन जरूरी है.
Mokshada Ekadashi 2021: मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष एकादशी मोक्षदा एकादशी कही जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक मोक्षदा एकादशी व्रत के फल से व्रत रखने वालों के पूर्वज मोक्ष प्राप्त करते हैं और खुद व्रती स्वर्गलोक मिलता है. शास्त्रों में एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन जरूरी है, अन्यथा कभी इसका फल नहीं मिलता है.
1. पौधों से फूल और पत्ते न तोड़ें
एकादशी पर कोई भी पेड़-पौधा फूल या पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए. विष्णुजी की पूजा के लिए भी अगर तुलसी पत्ता चढ़ाने की जरूरत है तो उसे एक दिन पहले ही तोड़कर सुरक्षित रख लें.
2. चावल का भोजन से त्याग
एकादशी पर भोजन में चावल का उपयोग नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन चावल सेवन से मनुष्य सरीसृप योनि में जन्म लेता है. इस दिन जौ, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली नहीं खानी चाहिए।
3. तामसिक पदार्थों को ग्रहण करने से बचें
एकादशी के दिन मांस, मदिरा, प्याज़, लहसुन जैसी तामसिक भोज्य से दूर रहना चाहिए. इस दिन दूसरे व्यक्ति का दिया अन्न भी ग्रहण नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि इससे व्रत करने वाले के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं.
4. किसी की बुराई न करें.
शास्त्रों के अनुसार एकादशी पर किसी व्यक्ति की निंदा या गुस्सा नहीं करना चाहिए. वाद-विवाद से दूर रहें और गरीब और लाचार लोगों का उपहास बिल्कुल नहीं उड़ाना चाहिए.
5. महिलाओं का पूरा सम्मान करें, संयमित रहें
एकादशी पर महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए, इससे व्रत का फल नहीं मिलता है. जो महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं, उन्हें जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है. इस दिन संयमित रहना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करें. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, इससे विशेष लाभ मिलता है.
मोक्षदायिनी एकादशी व्रत मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ- 24 दिसंबर की रात 11 बजकर 17 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 25 दिसंबर देर रात 1 बजकर 54 मिनट तक
पूजा विधि
एकादशी व्रत कठिन व्रतों में से एक है. एकादशी व्रत एकादशी से ही आरंभ हो जाता है और द्वादशी को पारण के बाद समाप्त होता है. मोक्षदा एकादशी पर 25 दिसंबर को व्रत से पहले संकल्प लेना चाहिए. पूजा स्थल गंगाजल से पवित्र करें और विष्णुजी को गंगाजल से स्नान कराएं. भगवान को रोली, चंदन, अक्षत आदि अर्पित करें. पीले फूलों से श्रृंगार के बाद भगवान को भोग लगाएं. विष्णु भगवान को तुलसी के पत्ते चढ़ाएं. भगवान गणेश जी, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इन्हें भी पढ़ें
Naag Diwali 2021: कब है नाग दिवाली, जानिए पौराणिक कथा और महत्व
Surya Grahan 2021: चंद्र ग्रहण के 15 दिन बाद लग रहा साल का अंतिम सूर्य ग्रहण