Lord Shiv Puja: महादेव भगवान शिव (Lord Shiva) को सोमवार का दिन समर्पित है. इस दिन भोले भक्त के पूरी श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा-उपासना करते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. भोलेनाथ तो एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं. इतना ही नहीं, काल को काटने और दोषों से मुक्ति को दूर महादेव ही करते हैं. शास्त्रो में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्रों के बारे में बताया गया है, जो मनवांछित फल देते हैं.
अगर आप भी जीवन में कष्टों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो ऐसे में शिव जी के कुछ मंत्रों का जाप अवश्य करें. इन मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर हर एक कष्ट दूर करते हैं. आइए जानते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सरल और सिद्ध मंत्रों के बारे में.
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भगवान शिव को प्रसन्न करने के मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
शिव जी का मूल मंत्र
ऊँ नम: शिवाय।।
भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र
ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।।
ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
रुद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
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शिव के प्रिय मंत्र
1. ॐ नमः शिवाय।
2. नमो नीलकण्ठाय।
3. ॐ पार्वतीपतये नमः।
4. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
5. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
नियमित करें इसका पाठ
नमामिशमीशान निर्वाण रूपं। विभुं व्यापकं ब्रम्ह्वेद स्वरूपं।। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाश माकाश वासं भजेयम।। निराकार मोंकार मूलं तुरीयं। गिराज्ञान गोतीत मीशं गिरीशं।। करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसार पारं नतोहं।। तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूति कोटि प्रभा श्री शरीरं।। स्फुरंमौली कल्लो लीनिचार गंगा। लसद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा।। चलत्कुण्डलं भू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननम नीलकंठं दयालं।। म्रिगाधीश चर्माम्बरम मुंडमालं। प्रियम कंकरम सर्व नाथं भजामि।। प्रचंद्म प्रकिष्ट्म प्रगल्भम परेशं। अखंडम अजम भानु कोटि प्रकाशम।। त्रयः शूल निर्मूलनम शूलपाणीम। भजेयम भवानी पतिम भावगम्यं।। कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी। सदा सज्ज्नानंद दाता पुरारी।। चिदानंद संदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी।। न यावत उमानाथ पादार विन्दम। भजंतीह लोके परे वा नाराणं।। न तावत सुखं शान्ति संताप नाशं। प्रभो पाहि आपन्न मामीश शम्भो ।
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