Sankashti Chaturthi : अगर आप जिंदगी में किसी संकट से घिरे हैं या कोई परेशानी दूर नहीं हो रही है या फिर कोई बेहद जरूरी काम अटका हो तो इनके निदान के लिए संकष्टी चतुर्थी मासिक व्रत पूजन बेहद शुभफल दायक हैं. विघ्नहर्ता गणपति में आस्था रखने वाले लोग संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखकर मनचाहे फल की कामना करते हैं. कहा जाता है कि संकष्टी चतुर्थी को श्रीगणेश की पूजा से संतान प्राप्ति भी होती है.
मान्यता है कि आषाढ़ मास में अनिरुद्धरूपी गणेश का पूजा-व्रत कर संन्यासियों को तुंबी आदि देना चाहिए. इस कारण इस दिन को शास्त्रों में भी विशेष महत्व वाता बताया गया है. इस दिन स्नान कर साफ हल्के लाल या पीला कपड़ा पहनें और गणपति चित्र के आगे लाल कपड़ा बिछाएं. गणेश पूजन के समय पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह रखें. श्रावण में स्वर्ण गणेश बनवाकर सोने की दूर्वा चढ़ाएं. इस तरह पांच साल तक व्रत-पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना गणपतिजी पूरी करते हैं.
व्रत का नियम
संकष्टी चतुर्थी निर्जला व्रत होता है, लेकिन कुछ लोग फलाहार ग्रहण कर भी उपवास रखते हैं. पूजा के बाद फल, मूंगफली, खीर, दूध या साबूदाना खीर खा सकते हैं. कई लोग सेंधा नमक भी प्रयोग करते हैं.
पूजा की विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ धुले हुए लाल कपड़े पहनें.
गणपति मूर्ति को फूलों से सजाएं. पूजा करते हुए मुंह पूर्व-उत्तर की ओर ही रखें.
साफ आसन या चौकी पर भगवान गणेश प्रतिमा रखकर धूप-दीप प्रज्जवलित करें
रोली और जलाभिषेक करते हुए ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः जाप करें.
पूजा कर तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं. शाम को चांद दर्शन कर व्रत खोलें.
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