ज्योतिषीय ग्रह चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह हैं. इन्हें चंद्रदेव पुकारा जाता है. सूर्य के समान ही इनकी प्रतिष्ठा है. शुक्ल और कृष्ण पक्ष में चंद्रमा 16 कलाएं दिखाते हैं. मन पर चंद्रमा का गहरा प्रभाव है.


मानसिक अवरोधों से ग्रस्त हैं. मनोबल का अभाव पाते हैं. सकारात्मक विचारों को अभाव रखते हैं. महत्वपूर्ण वार्ताओं में अपनी बात नहीं रख पाते हैं. ऐसे लोगों को चंद्रमा का ध्यान मंत्र अवश्य पाठ करना चाहिए. ध्यानावस्था में मंत्र का स्मरण करना चाहिए.


श्वेतः श्वेताम्बरधरः श्वेताश्वः श्वेतवाहनः।
गदापाणि द्विर्बाहुश्च कर्तव्योः वरदः शशिः।।


ध्यान में ब्रह्म मुहूर्त और प्रदोषकाल में बैठने से मंत्र का लाभ अधिक मिलता है. भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा के समक्ष ध्यान करना श्रेष्ठकर है. इस ध्यान के प्रभाव से परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझने और तालमेल बिठाने में मदद मिलती है. वाणी व्यवहार और स्मरणशक्ति को बल मिलता है. परिवार में हर्ष आनंद रहता है. सबके प्रति स्नेह और आदरभाव बढ़ता है. चंद्रमा की प्रबलता से आर्थिक और सामाजिक पक्ष मजबूत होता है.


चंद्रमा की शत्रुता किसी ग्रह से नहीं होती है. मित्रता और समता का भाव रखते हैं. ध्यान सभी लोगों के प्रति प्रेम और सद्भाव जगाता है. शत्रु भाव का नाश करता है. पारिवारिक विवादों को शांत कराता है. विद्यार्थियों में इस मंत्र के ध्यान से स्मरणशक्ति और एकाग्रता बढ़ती है.