Morari Bapu: कौन हैं मोरारी बापू जो खुद को कहते हैं फकीर, दान देने के मामले में टॉप पर है इनका नाम
Morari Bapu: मोरारी बापू आध्यात्मिक गुरु और कथावाचक हैं. सोशल मीडिया पर इनके सुविचार, प्रवचन आदि के वीडियो खूब वायरल होते हैं. मोरारी बापू देश-विदेश में रामकथा का आयोजन करते हैं.
Morari Bapu Biography in Hindi: मोरारी बापू का नाम देश के चर्चित रामकथा वाचक में एक है. वे भारत समेत दुनियाभर के अलग-अलग देशों में रामकथा का आयोजन कराते हैं. मोरारी बापू के कथा सुनाने का अंदाज इतना खास है कि, कथा सुनने हजारों भक्तों व श्रोताओं की भीड़ उमड़ती है. कथा के दौरान वे गद्य, पद्य, सुविचार, कविता और शायरी भी कहते हैं.
मोरारी बापू का जन्म, परिवार और शिक्षा (Morari Bapu Birth, Family and Education)
मोरारी बापू का जन्म 25 सितंबर 1946 में देश की आजादी से ठीक एक साल पहले ही हुआ था. मोरारी बापू का पूरा नाम मोरारिदास प्रभुदास हरियाणी है. उनका जन्म गुजरात के महुआ के निकट तालगरदजा गांव में हुआ. मोरारी बापू के पिता का नाम प्रभु दास बापू हरियाणी और माता का नाम सावित्री बेन है. मोरारी बापू के छह भाई और दो बहने हैं. सभी भाईयों में मोरारी बापू सबसे छोटे हैं.
मोरारी बापू का विवाह नर्मदाबेन के साथ हुआ. विवाह के बाद इन्हें एक पुत्र और तीन पुत्री की प्राप्ति हुई. वर्तमान में मोरारी बापू श्री चित्रकुटधाम ट्रस्ट, तालगरजदा महुआ गुजरात में रहते हैं. साथ ही वे कथा आयोजन के लिए देश-विदेश का भ्रमण करते रहते हैं. शिक्षा की बात करें तो, मोरारी बापू ने प्राथमिक शिक्षा गुजरात के सरकारी स्कूल से प्राप्त की और इसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने शाहपुर कॉलेज जूनागढ़ से पूरी कर डिग्री हासिल की.
कथा में शामिल होती हैं दिग्गज हस्तियां
मोरारी बापू की कथाओं में तमाम दिग्गज शायर, गीतकार, कवि आदि शामिल होते हैं. मोरारी बापू कई बड़े राजनेता, उद्योगपति और आध्यात्मिक गुरुओं से भी जुड़े हुए हैं. मोरारी बापू के साथ बड़े-बड़े राजनेता, नरेंद्र मोदी, मुकेश अंबानी भी नजर आते हैं. पीएम मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वे इनकी कथा में श्रोता के तौर पर शिरकत कर चुके हैं. कहा जाता है कि, मोरारी बापू ने ही पहली बार पीएम मोदी को फकीर कहकर संबोधित किया था.
मोरारी बापू से जुड़ी रोचक जानकारियां (Morari Bapu Facts)
- बचपन में पढ़ाई के बाद मोरारी बापू अपना अधिकांश समय दादा-दादी के साथ बिताते थे. दादाजी त्रिभोवंदास उन्हें रामचरितमानस के चौपाई सिखाते थे और दादी अमृत मां से लोककथाएं सुनते थे.
- 1960 में जब वे केवल 14 वर्ष के थे तब उन्होंने पहली बार रामकथा का वाचन तालगरजदा स्थित रामजी मंदिर में किया था.
- मोरारी बापू अबतक 900 से अधिक रामकथाओं का वाचन कर चुके हैं. इसमें भारत समेत अमेरिका, इंग्लैंड, ब्राजील, भूटान, दुबई, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और केन्या आदि जैसे कई देश शामिल हैं.
- 2009 में मोरारी बापू ने महुवा में ‘विश्व धर्म वार्ता और सिम्फनी सम्मेलन’ का आयोजन किया, जिसका उद्घाटन दलाई लामा ने किया था.
- महुवा में हर साल मुस्लिम समुदाय द्वारा ‘याद-ए-हुसैन’ कार्यक्रम आयोजित किया होता है, जिसमें मोरारी बापू मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हैं.
- एक टीवी शो के दौरान मोरारी बापू ने कहा था कि, वे कभी भी अपना जन्मदिन सेलिब्रेट नहीं करते हैं.
दान देने के मामले में टॉप पर है मोरारी बापू का नाम
मोरारी बापू अपने कथाओं के माध्यम से अच्छा धन कमा लेते हैं. लेकिन वह अपनी कमाई का सारा पैसा दान दे देते हैं. उन्हें साधारण और सरल तरीके से जीवन जीना पसंद है. मोरारी बापू कहते हैं कि, उन्हें आधुनिक सुख-सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है. वह एक गांव के कुटीर में रहना पसंद करते हैं.
मोरारी बापू ने उत्तराखंड में आई आपदा के दौरान एक करोड़ का दान दिया था, वे जरूरतमंद छात्रों को मुफ्त शिक्षआ प्रदान कराते हैं, 2019 में पुलवामा हमले के बाद मोरारी बापू ने प्रत्येक शहीद के परिवार को एक लाख की सहायता करने की घोषणा की थी. वे मानवता के लिए कई कल्याणकारी कार्य करते हैं, जिसके लिए काफी उनकी प्रशंसा भी की जाती है.
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