मानस मंत्र: मूक होइ बाचाल पंगु चढ़इ गिरिबर गहन, प्रभु कृपा से गूंगा बने वक्ता और पंगु चले पहाड़
Chaupai, Ramcharitmanas: श्रीरामचरितमानस ग्रंथ की रचना तुलसीदास जी अनन्य भगवद् भक्त के द्वारा की गई है. मानस मंत्र के अर्थ को समझते हुए मानस की कृपा से भवसागर पार करने की शक्ति प्राप्त करते हैं.
Motivational Quotes, Chaupai, Ramcharitmanas: तुलसी बाबा ने भगवान श्री सीताराम जी की अनुकंपा से उनकी दिव्य लीलाओं का प्रत्यक्ष अनुभव करके यथार्थ रूप में वर्णन किया है. पांच सोरठों में गणेश, विष्णु, शिव, शक्ति एवं गुरु की वंदना की गई है. इस मानस मंत्र का नित्य पाठ करने से जीवन में सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं….
जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन ।
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन ।।1।।
जिन्हें स्मरण करने से सब कार्य व कामना की पूर्ति व प्राप्ति हो जाती है, जो गणों के स्वामी और सुन्दर हाथी के मुख वाले हैं, वह ही बुद्धि के भंडार और शुभ गुणों के धाम श्री गणपति जी मुझ पर कृपा करें.
मूक होइ बाचाल पंगु चढ़इ गिरिबर गहन ।
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन ।।2।।
जिनकी कृपा से गूंगा बहुत बोलने वाला यानी वक्ता हो जाता है और जिसके पैर न हों वह बड़े बड़े पहाड़ चढ़ जाता है, वे कलियुग के सब पापों को शमन यानी भस्म करने वाले दयालु भगवान मुझ पर दया करें.
नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन ।
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन ।।3।।
जो नील कमल के समान श्याम वर्ण हैं, नवीन पूरे खिले हुए लाल कमल के समान जिनकी आंख हैं और जो हमेशा क्षीरसागर यानी दूध के समुद्र में शयन करते हैं, वे नारायण भगवान श्री विष्णु जी मेरे हृदय में निवास करें.
कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन ।
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन ।।4।।
जिनका कुन्द के पुष्प और चन्द्रमा के समान उजला शरीर है, जो पार्वती जी के प्रियतम और दया के धाम हैं और जिनका दीन दुखियों पर स्नेह रहता है, वे कामदेव को भस्म करने वाले श्री शिव जी मुझ पर कृपा करें.
बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि ।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर ।।5।।
मैं उन गुरु महाराज जी के चरण कमल की वन्दना करता हूं, जो कृपा के सागर और मनुष्य रूप में श्री हरि ही हैं. जिनके वचन महा मोह रूपी घने अंधकार के नाश करने के लिये सूर्य की किरणों के समूह की तरह हैं.
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