मानस मंत्र: रामकथा कलि कलुष बिभंजनि.. सब मनुष्यों के भीतर प्रसन्नता का संचार करते हुए रामकथा कलियुग के पापों का करती है नाश
Chaupai, ramcharitmanas: श्रीरामचरितमानस ग्रंथ की रचना तुलसीदास जी अनन्य भगवद् भक्त के द्वारा की गई है. मानस मंत्र के अर्थ को समझते हुए मानस की कृपा से भवसागर पार करने की शक्ति प्राप्त करते हैं.
Motivational Quotes, Chaupai, ramcharitmanas: राम कथा जीवन को धन्य करने वाली होती है. गोस्वामी जी ने राम कथा से किस तरह के लाभ होते हैं इसके विषय में विस्तार से बताया. जो राम कथा के आश्रित श्रोता-वक्ता हैं उनके पापों का नाश करती है. तुलसीदास जी ने रामकथा को कामधेनु बताया है. कामधेनु सभी जगह यानी सर्वत्र नहीं होती और बड़ी कठिनता से मिलती है. इसी प्रकार रामकथा कलियुग में बड़ी कठिनता से सुनने में आती है। सतयुग, त्रेता में घर-घर गायी जाती थी, द्वापर में केवल सज्जनों के घर में पर कलियुग में तो कहीं-कहीं। इसी क्रम में आगे रामकथा की महिमा को समझते हैं..
बुध बिश्राम सकल जन रंजनि ।
रामकथा कलि कलुष बिभंजनि ।।
रामकथा कलि पंनग भरनी ।
पुनि बिबेक पावक कहुँ अरनी ।।
रामकथा ज्ञानियों को विश्राम देने वाली, सब मनुष्यों को प्रसन्न करने वाली और कलियुग के पापों का नाश करने वाली है. रामकथा कलियुग रूपी साँप के लिये मोरनी है और विवेक रूपी अग्नि के प्रकट करने के लिये अरणि यानी मन्थन की जाने वाली लकड़ी है, अर्थात् इस कथा से ज्ञान की प्राप्ति होती है.
रामकथा कलि कामद गाई ।
सुजन सजीवनि मूरि सुहाई ।।
सोइ बसुधातल सुधा तरंगिनि ।
भय भंजनि भ्रम भेक भुअंगिनि ।।
रामकथा कलियुग में सब मनोरथों को पूर्ण करने वाली कामधेनु गौ है और सज्जनों के लिये सुन्दर सञ्जीवनी जड़ी है. पृथ्वी पर यही अमृत की नदी है, जन्म-मरण रूपी भय का नाश करने वाली और भ्रम रूपी मेंढकों को खाने के लिये सर्पिणी है.
असुर सेन सम नरक निकंदिनि ।
साधु बिबुध कुल हित गिरिनंदिनि ।।
संत समाज पयोधि रमा सी ।
बिस्व भार भर अचल छमा सी ।।
यह रामकथा असुरों की सेना के समान नरकों का नाश करने वाली और साधु रूप देवताओं के कुल का हित करने वाली पार्वती यानी दुर्गा है. यह संत-समाज रूपी क्षीर समुद्र के लिये लक्ष्मी जी के समान है और सम्पूर्ण विश्व का भार उठाने में अचल पृथ्वी के समान है.
जम गन मुहँ मसि जग जमुना सी ।
जीवन मुकुति हेतु जनु कासी ।।
रामहि प्रिय पावनि तुलसी सी ।
तुलसिदास हित हियँ हुलसी सी ।।
यमदूतों के मुख पर कालिख लगाने के लिये यह जगत् में यमुना जी के समान है और जीवों को मुक्ति देने के लिये मानो काशी ही है। यह श्री राम जी को पवित्र तुलसी के समान प्रिय है और तुलसीदास के लिये माता हुलसी के समान हृदय से हित करने वाली है.
सिवप्रिय मेकल सैल सुता सी ।
सकल सिद्धि सुख संपति रासी ।।
सदगुन सुरगन अंब अदिति सी ।
रघुबर भगति प्रेम परमिति सी ।।
यह राम कथा शिवजी को नर्मदा जी के समान प्यारी है, यह सब सिद्धियों की तथा सुख-संपत्ति की राशि है. सद्गुण रूपी देवताओं के उत्पन्न और पालन पोषण करने के लिये माता अदिति के समान है. श्री रघुनाथ जी की भक्ति और प्रेम की परम सीमा है.
रामकथा मंदाकिनी चित्रकूट चित चारु।
तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहारु।।
तुलसीदास जी कहते हैं कि रामकथा मन्दाकिनी नदी है, सुन्दर निर्मल चित्त चित्रकूट है, और सुन्दर स्नेह ही वन है, जिसमें श्री सीता राम जी विहार करते हैं.
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