Hanuman Mantra For Success, Motivational Quotes: सफल होने के लिए व्यक्ति खूब मेहनत और परिश्रम करते हैं. हम सफल होने के लिए अपने आसपास मौजूद सफल व्यक्ति या महापुरुषों के अनुभवों से भी सीखते हैं. राम भक्त हनुमान को संकटमोचन कहा जाता है. क्योंकि हनुमान जी द्वारा कई संकटों का समाधना किया गया.
हनुमान जी में ऐसे कई गुण हैं जो आज के आधुनिक दौर में भी सफल होने में बहुत काम आएंगे. बजरंगबली के इन गुणों को अपनाकर आप न सिर्फ सफलता की कुंजी को प्राप्त कर सकेंगे बल्कि कई समस्याओं को सुलझाने में भी कामयाब होंगे.
वाल्मीकि रामायण से लेकर रामचरित मानस तक भगवान हनुमान द्वारा किए गए कामों से आपको प्रेरणा लेनी चाहिए. भगवान राम पर जब-जब कोई संकट आया, हनुमान जी उसे दूर करने के लिए ढाल बनकर खड़े रहें. हनुमान जी के इन्हीं गुणों को अपनाकर आप सफलता की कुंजी को प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सफल हो सकते हैं.
सफल होने के लिए अपनाएं हनुमान जी के ये 5 गुण
हार मानने से पहले करें कोशिश- वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान जी जब श्रीराम के आदेश पर सीताजी की खोज में लंका पहुंते तो हर जगह ढूंढने के बाद भी सीता जी कहीं नहीं मिली. तब हनुमानजी निराश हो गए और सोचे कि बिना माता सीता के खाली हाथ लौटने पर सारे वानरों को दंड मिलेगा.
अकेले मेरी असफलता के कारण सारे वानरों को दंड भोगना पड़ेगा. ऐसे में हनुमान जी ने खुद ही आत्मदाह करने की सोची. उन्होंने भले ही मन में आत्मदाह का निश्चय कर लिया, लेकिन उनके मन में अजीब से बेचैनी थी. फिर उन्होंने शांत चित्त मन से विचार किया कि आत्मदाह करने से पहले एक बार फिर लंका के उन स्थानों को देख लूं जहां अभी तक नहीं देखा. इसके बाद उन्होंने एक आखिरी प्रयास किया और इसी आखिरी प्रयास में उन्हें अशोक वाटिका के पास सीता जी मिल गईं.
सीख: हनुमान जी के इस गुण से यह सीख मिलती है कि कोई प्रयास आखिरी नहीं होता. इसलिए जब तक आपको लक्ष्य नहीं मिलता, तब तक प्रयास करें और खासकर हार मानने से पहले एक और प्रयास जरूर करें. साथ ही इससे इस बात की भी सीख मिलती है कि सफलता जीवन का अंत करने से नहीं बल्कि प्रयास करने से मिलती है.
जब तक सफलता न मिले तब तक विश्राम नहीं- रामचरितमानस में सुंदरकांड के अनुसार, जब हनुमान जी समुंद्र पार कर रहे थे तब, समुद्र ने सोचा कि हनुमान श्रीहरि का काम करने जा रहे हैं और थक ना जाएं. इसलिए समुद्र ने तल में रहने वाले मेनाक पर्वत से कहा कि तुम ऊपर जाओ और हनुमान को अपने ऊपर विश्राम करने के लिए जगह दो. मेनाक ऊपर आया और हनुमान से कहा कि आप थोड़ा विश्राम कर लें. लेकिन
हनुमान जी ने विश्राम नहीं किया और वे मेनाक के आग्रह को भी टाल नहीं सके. इसलिए उन्होंने अपने हाथ से मेनाक को छूकर उनके आग्रह का मान रखते हुए कहा कि जब तक श्रीराम का काम ना हो जाए, मैं विश्राम नहीं कर सकता.
सीख: हनुमान जी के इस गुण से यह सीख मिलती है कि जब तक मंजिल या सफलता न मिल जाए तब तक बिना रुके प्रयास करते रहें. साथ ही इस काम में जो आपका सहयोग करे उसका आदर-सम्मान भी करना न भूलें.
शक्तिशाली होने के बाद भी रखें विन्रम स्वभाव- भगवान हनुमान अपार शक्ति के स्वामी हैं. इसलिए उन्हें बजरंगबली कहा जाता है. लेकिन शक्तिशाली होने के साथ ही बजरगंबली बहुत विनम्र और बुद्धिमान भी हैं. पूरे रामायण में हनुमान जी ने कभी भी अपने बल, क्रोध और अहंकार का अनावश्यक प्रयोग नहीं किया है.
सीख: कुछ लोगों को जब सफलता या शक्ति मिल जाती है तो उनमें घंमड आ जाता है. ऐसे लोगों को हनुमान जी से यह सीख लेनी चाहिए कि परिस्थिति चाहे जो भी रहे,स्वभाव हमेशा विनम्र होना चाहिए.
हमेशा सीखते रहें- ग्रंथों में कहा गया है कि हनुमान जी ने सूर्य को अपना गुरू बनाया और उनसे शिक्षा ग्रहण की. जब हनुमान जी शिक्षा के लिए सूर्य देव के पास पहुंचे तो सूर्य देव बोले, मैं तो पलभर भी नहीं ठहर सकता क्योंकि मेरा रथ निरंतर चलता रहता है. यदि मैं ठहर गया तो सृष्टि का विनाश हो जाएगा.
इसलिए तुम किसी और को अपना गुरु बना लो. तब हनुमान जी बोले, मैं भी आपके साथ आपकी गति से चलते-चलते शिक्षा ग्रहण कर लूंगा. सूर्य देव बोले कि गुरु शिष्य आमने-सामने होते हैं तभी शिक्षा दी जा सकती है. ऐसे में चलते हुए शिक्षा देना संभव नहीं. हनुमान जी बोले- मैं आपके सामने रह कर उल्टा चलूंगा. लेकिन आपको अपना गुरु मान लिया है, तो शिक्षा भी आपसे ही ग्रहण करूंगा. हनुमान जी की बातें सुनकर सूर्य देव ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया और शिक्षा दी.
सीख: हनुमान जी के इस गुण से यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को सीखने के लिए या शिक्षा प्राप्त करने के लिए सभी तरह की चुनौतियों को स्वीकार करना सीखना चाहिए.
बिना अनुमति न करें कोई काम- रामचरित मानस के सुंदरकांड में अशोक वाटिका का प्रसंग है. इसी वाटिका के पास जब सीता जी से हनुमान की मुलाकात हुई, उस वक्त सीता जी बहुत दीन स्थिति में थीं और श्रीराम के दर्शन के लिए व्याकुल थीं.
लंका में सीता जी की ऐसी दुखभरी स्थिति देख हनुमान बोले, माता मैं चाहूं तो अभी आपको कंधे पर बिठाकर श्रीराम के पास लेकर जा सकता हूं. लेकिन मुझे इसकी आज्ञा नहीं मिली है. मुझे केवल आप तक संदेश पहुंचाने की आज्ञा मिली है.
सीख: हनुमान जी के इस गुण से यह सीख मिलती है कि आज्ञा के अनुसार ही कार्य करें और जितना कहा जाए उतना ही कार्य करें.
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