Motivational Quotes in Hindi: जीवन में मानसिक शांति बहुत जरूरी है. क्योंकि अशांत मन में कई सवाल पैदा होते हैं, जिससे मस्तिष्क भी विचलित हो जाता है. यह आंतरिक अशांति तब तक बनी रहती है जब तक कि व्यक्ति को ऐसा जवाब नहीं मिल जाता, जिससे वह संतुष्ट हो.


अगर आपके साथ भी ऐसा होता है कि आप मानसिक अशांति के कारण तनाव और क्रोध से भरे रहते हैं तो आपको महात्मा बुद्ध की ये बातें जरूर जाननी और माननी चाहिए. इससे आप ना सिर्फ मानसिक शांति का अनुभव करेंगे बल्कि टेंशन और क्रोध पर काबू करना भी सीख जाएंगे.


तनाव-क्रोध से मुक्ति और मानसिक शांति के लिए भगवान बुद्ध कुछ चरणों के बारे में बताते हैं. इन आयामों को हम गौतम बुद्ध से जुड़ी इस कहानी के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे-


मानसिक शांति का पहला चरण


एक बार एक लड़का गौतम बुद्ध से कहता है कि ‘मेरे जीवन में बहुत अशांति है. मुझे इस अशांति से मुक्ति कैसे मिलेगी?’. बुद्ध ने उससे मानसिक अशांति का कारण पूछा. तब उसने कहा कि मेरे मन में बहुत तरह के विचार आते हैं और अधिक विचारों के कारण ही मेरा मन अशांत रहता है. बुद्ध कहते हैं- अगर तुम लगातार धूप में खड़े रहोगे तो क्या होगा?  


लड़का कहता है- मुझे तेज गर्मी लगेगी, शरीर में जलने लगेगा और बैचेनी होगी. बुद्ध कहते हैं अगर धूप में खड़े रहने से तुम्हे बैचेनी होगी तो दोष सूर्य के ताप का है या तुम्हारा? लड़का बुद्ध की बातें समझ जाता है. बुद्ध कहते हैं- तुन्हें अगर शीतलता चाहिए तो तुम्हें छांव में रहना होगा. ठीक ऐसे ही तुम्हें क्रोध और तनाव से दूर रहने के लिए मन में चल रहे विचार और भावनाओं की अलग दिशा बनानी होगी.


मानसिक शांति का दूसरा चरण


बुद्ध के अनुसार मन को शांत करने से पहले तन के आयाम को जानना जरूरी है, क्योंकि शरीर के स्तर पर हमारी कर्मेंद्रियां और ज्ञानेंद्रिया है, जोकि कर्म और ज्ञान से जुड़ी है. अगर आप कर्म और ज्ञान को जान लेंगे तो अपनी संवेदनशीलता को बढ़ाकर अपने कामों का आनंद भी लेंगे. वहीं तन के आयाम पर जाने से चित्त भी शांत होगा. बुद्ध कहते हैं किसी व्यक्ति का मन से हटकर तन के आयाम पर आना ठीक उसी तरह का सुकून देता है जैसे धूप से हटकर छांव में आना.


मानसिक शांति का तीसरा चरण


लड़के ने बुद्ध से कहा हम अपने भीतर के सुर को कैसे सुन सकते है?  बुद्ध जवाब देते हैं. किसी ऐसी जगह पर जाकर अपनी आंखें बद करो जहां शांति हो. यहां तुम मन के भीतर चल रहे शोर से हटकर भीतर के सुर को सुन पाओगे. मन में यह सुर निरंतर चलता है. लेकिन बाहर के शोर के कारण मन का सुर सुनाई नहीं देता. दोनों कानों को बंद करने पर ही मन का सुर सुनाई देता है. मन का सुर सुनते ही मन की अशांति भी दूर हो जाती है.


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