Motivational Thoughts in Hindi: सफलता की कुंजी कहती है कि सफलता उसी व्यक्ति को मिलती है जो अपने कार्यों को गंभीरता से करता है और गलत आदतों से दूर रहता है. श्रेष्ठ गुणों को अपनाने वाले व्यक्ति का कितना ही बुरा समय क्यों न आ जाए निराशा और हताशा उसे छू भी नहीं पाती हैं. 


सफलता की कुंजी कहती है कि जो नियमों का पालन करते हैं. अनुशासित जीवन शैली जीते हैं. उन्हें जीवन में कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता है. जीवन में कभी भी इन कार्यों को नहीं करना चाहिए. इन कामों को करने से धन की कमी हमेशा बनी रहती है और लक्ष्मी जी भी छोड़कर चली जाती हैं-


लालच- सफलता की कुंजी कहती है कि लालच करने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी जी कभी अपना आशीर्वाद नहीं देती हैं. शास्त्रों में भी लोभ को सबसे बड़े अवगुणों को में से एक माना गया है. लोभ कई प्रकार के अन्य अवगुणों को जन्म देता है. जिसमें से एक धोखा भी है. लोभ करने वाला व्यक्ति कभी भी स्वार्थी हो सकता है. स्वार्थी व्यक्ति सदैव अपने हितों के बारे में सोचता है और इन्हें पूरा करने या पाने का प्रयास करता रहता है.


अहंकार- सफलता की कुंजी कहती है कि अहंकार व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है. इससे दूर रहना ही उचित है. अहंकार करने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी जी बहुत जल्द छोड़कर चली जाती हैं. अहंकार करने वाला व्यक्ति अपने करीबी और शुभचिंतकों की परवाह नहीं करता है. जिस कारण उसके अपने भी उसका साथ छोड़कर चले जाते हैं. ऐसा व्यक्ति अपने शत्रुओं की संख्या में भी निरंतर वृद्धि करता रहता है. अहंकार करने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी जी कभी पसंद नहीं करती हैं. रावण इसका उदाहरण है. रावण के पास सोने की लंका थी, फिर भी उसके अहंकार चलते नष्ट हो गई है.


निंदा- सफलता की कुंजी कहती है कि जीवन में सफल होना है तो इस अवगुण से हमेशा दूर रहो. निंदा करना और निंदा सुनना दोनों ही खराब आदतें मानी गई हैं. इनसे दूर रहें. निंदा को 'निंदारस' भी कहा गया है. समय रहते व्यक्ति यदि सावधान नहीं होता है तो ये निंदारस का प्रभाव उसके स्वभाव में भी दिखाई देने लगता है. इसलिए इस आदत से दूर रहना ही उचित है. 


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