Motivational Quotes in Hindi: महात्मा बुद्ध (Mahatma Buddha) के संदेश और उपदेशों से लोगों का शरीर और मन पवित्र होकर एकाग्र चित्त मन का निर्माण करता है. बुद्ध ने कहा अप्प दीपो भव. यह वो आखिरी शब्द होता है जो किसी शिष्य से कहा जाना चाहिए.
महात्मा बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की थी. उनका असली नाम सिद्धार्थ गौतम था. दिव्य ज्ञान की खोल में बुद्ध एक रात अकेले ही निकल पड़े और वर्षों साधना की. जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई तो उन्होंने हमेशा लोगों को शरीर और मन को पवित्र कर एकाग्र चित्त मन के निर्माण का संदेश दिया.
गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) के कई संदेशों और उपदेशों में एक है अप्प दीपो भव. लेकिन बुद्ध के इस वचन के पीछे का दर्शन क्या है? आइये जानते हैं-
अप्प दीपो भव का अर्थ (appo deepo bhava meaning)
अप्प दीपो भव कहने के पीछे गौतम बुद्ध का अर्थ यह है कि, मांगे हुए ज्ञान या फिर प्रकाश से बुद्ध तथागत नहीं बनते. बल्कि तथागत बनने के लिए ‘तथा और गत’ यानी जो जैसा आया वैसा चला गया को साधना जरूरी है.
अप्प दीपो का अर्थ होता है अपना दीप स्वयं बनो. लेकिन बुद्ध बनकर केवल दीपक ही बनते बल्कि संयम से अपनी बाती खुद बटते हैं. करुणा का स्नेह स्वयं बनते हैं और आत्म चेतन के बाती को उज्जवल भी स्वयं ही बनाना होता है.
अप्प दीपो भव की जरूरत कब? (appo deepo bhava)
किसी चीज की साधना में लगे हुए को आप ‘अप दीपो भव’ पहले या बीच में नहीं बोल सकते. यह ऐसा बहुमूल्य शब्द है, जिसे साधना के आखिर में बोलना चाहिए. अप दीपो भव रहने के पीछे बुद्ध का दर्शन भी यही था कि- तुम्हारी साधना पूरी हुई अब तुम अपने दीप, अपने प्रकाश स्वयं हो.
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