Safalta Ki Kunji: रावण ने मरने से पहले ऐसा क्या कहा था, जो आज भी लोग मानते हैं सच, इससे मिलती है सफलता!
Safalta Ki Kunji:शास्त्रों में रावण को प्रखर ज्ञाता कहा गया है. रावण ने मृत्यु से पहले कुछ उपदेश दिए थे, जिसे सफलता की कुंजी माना जाता है. इन उपदेशों को अपनाने वाला अपने जीवन में कभी मात नहीं खाता है.
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Safalta Ki Kunji, Motivational Thoughts In Hindi: सफलता को प्राप्त करने के लिए संघर्ष, मेहनत और ज्ञान की आवश्यकता होती है. मेहनत और संघर्ष को व्यक्ति के गुण होते हैं. लेकिन ज्ञान आपको किसी ज्ञानी से ही अर्जित हो सकता है.
रामायण काल में रावण एक विशेष पात्र रहे हैं, जोकि लंका के राजा थे. इसलिए उन्हें लंकापति रावण भी कहा जाता है. रावण में भले ही कुछ अवगुण थे. लेकिन इसकी अपेक्षा गुण अधिक थे. शास्त्रों में रावण को प्रखर ज्ञाता, प्रकांड विद्वान पंडित, शिव भक्त, पराक्रमी योद्धा और महाज्ञानी कहा गया है.
सफलता प्राप्त करने के लिए ज्ञानी व्यक्ति के विचार और उपदेश महत्वपूर्ण होते हैं. रावण ने मृत्यु से पूर्व लक्ष्मण जी को कुछ उपदेश दिए थे, जिसे सफलता की कुंजी माना जाता है. रावण के ये उपदेश जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी माने जाते हैं. जानते हैं ज्ञानी रावण के इन उपदेशों के बारे में.
रावण के 5 उपदेश जो कहलाते हैं सफलता की कुंजी
- व्यक्ति को कभी भी अपने दुश्मन को कमजोर या निर्बल नहीं समझना चाहिए. ऐसा करना ही उसके हार का मुख्य कारण हो सकता है. क्योंकि कई बार हम अपने प्रतिद्वंदी को कमजोर समझ लेते हैं और वह हमसे अधिक शक्तिशाली साबित होता है.
- चाहे आप कितने भी शक्तिशाली या पराक्रमी हों, अपनी शक्ति और ताकत का घमंड नहीं करना चाहिए. घमंड दांत की तरह होता है. यह इंसान को ऐसे तोड़ देता है जैसे दांत से सुपारी.
- व्यक्ति को अपने करीबी, मित्र और हितैषियों की बातें हमेशा सुननी चाहिए. क्योंकि ये लोग कभी आपका बुरा नहीं चाहेंगे. आप चाहे खुद कितने ही समझदार क्यों न हों लेकिन अपने हितैषी की बात अवश्य सुनें.
- दोस्त और शत्रु के बीच फर्क करने का गुण हर व्यक्ति में जरूर होना चाहिए. क्योंकि जिसे आप अपना हितैषी समझकर सब राज बता देते हैं, वही आपका दुश्मन होता है और आपकी असफलता का सबसे बड़ा कारण बनता है.
- किसी पराई महिला पर कभी भी गलत दृष्टि नहीं रखनी चाहिए. इतिहास गवाह है कि जिसने भी पराई स्त्री पर नजर रखी वह नष्ट हो गया.
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