Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि जिस व्यक्ति पर लक्ष्मी जी की कृपा होती है उसे जीवन के सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं. लेकिन लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करना इतना आसान नहीं है. लक्ष्मी जी उसी को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं, जो विशेष गुणों से युक्त होता है.
लक्ष्मी जी का आशीर्वाद चाहिए तो कुछ कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए. लक्ष्मी जी क्रोध और अहंकार को पसंद नहीं करती है. गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने क्रोध और अहंकार को अवगुण बताया है. ये दोनों ही अवगुण व्यक्ति की समस्त अच्छाईयों को नष्ट कर देते हैं.
विद्वानों का भी कहना है कि क्रोध व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है. क्रोध करने वाला व्यक्ति अपना तो अहित करता ही है, ऐसा व्यक्ति दूसरों को भी मुसीबत में डालता है. इसलिए क्रोध से बचना चाहिए. क्रोध में व्यक्ति अच्छे और बुरे का भेद नहीं कर पाता है. जिस कारण उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं.
अहंकार से दूर रहें
विद्वानों का मत है कि व्यक्ति को अहंकार से दूर रहना चाहिए. अहंकार व्यक्ति के सभी गुणों को नष्ट कर देता है. अहंकारी व्यक्ति से हर कोई दूरी बना लेता है. ऐसे व्यक्ति का जब समय बुरा आता है तो उसे बहुत कष्ट उठाने पड़ते हैं. अहंकार व्यक्ति की वाणी भी दूषित कर देता है. वाणी दोष होने पर ऐसे व्यक्ति का सम्मान भी नष्ट हो जाता है.
निंदा रस से दूर रहें
लक्ष्मी जी उन लोगों को अपना आशीर्वाद प्रदान नहीं करती हैं जो दूसरों की निंदा करने में आनंद प्राप्त करते हैं. शास्त्रों में भी कहा गया है कि व्यक्ति को बुराई से बचकर रहना चाहिए. बुराई करना और सुनना अच्छा गुण नहीं माना गया है. इससे बचना चाहिए. निदां रस में डूबा व्यक्ति नकारात्मक विचारों से घिर जाता है, उसकी रचनात्मकता समाप्त हो जाती है.