Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि लक्ष्मी जी कृपा जिसे प्राप्त होती है, उसका जीवन सुख सुविधाओ से पूर्ण तो होता ही है, साथ में उसे मान सम्मान भी प्राप्त होता है. चाणक्य के अनुसार लक्ष्मी जी धन की देवी हैं. शास्त्रों में लक्ष्मी जी वैभव की देवी की माना गया है. 


लक्ष्मी जी को कैसे प्रसन्न किया जाए? इस प्रश्न का उत्तर हर कोई जानना चाहता है, लेकिन विद्वानों की मानें तो इस प्रश्न का उत्तर बहुत ही सरल है. लक्ष्मी जी अपना आशीर्वाद उसी व्यक्ति को प्रदान करती हैं, जिसमें ये सभी गुण पाए जाते हैं-



  • परिश्रम: गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि परिश्रम करने वाला व्यक्ति एक न एक दिन अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर ही लेता है. परिश्रम करने से व्यक्ति को नहीं घबराना चाहिए. विद्वानों की मानें तो परिश्रम से प्राप्त सफलता व्यक्ति को सच्चा सुख प्रदान करती है. ऐसे लोगों पर लक्ष्मी जी की भी कृपा बनी रहती है.

  • अनुशासन: विद्वानों का मत है कि यदि जीवन में अनुशासन नहीं है तो कोई भी कार्य संभव नहीं है. बिना अनुशासन के लक्ष्य की प्राप्ति करना असंभव होता है. अनुशासन किसी भी कार्य को बेहतर और समय पर पूर्ण करने के लिए प्रेरित करता है.

  • परोपकार: विद्वानों का मत है कि व्यक्ति को परोपकार के कार्यों को करते रहना चाहिए. परोपकार के कार्य करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है. किसी भी कार्य करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा का विशेष योगदान होता है.

  • क्रोध: चाणक्य के अनुसार क्रोध करने वाले व्यक्ति से लक्ष्मी जी दूर चली जाती है. लक्ष्मी जी क्रोध और अहंकार को पसंद नहीं करती है. व्यक्ति को इससे दूरी बनाकर रहना चाहिए.

  • लोभ: विद्वानों की मानें तो लोभ हर प्रकार के अवगुणों में वृद्धि करता है. लोभ करने वाले व्यक्ति का साथ लक्ष्मी जी बहुत जल्दी छोड़ देती हैं. कभी कभी लोभ के कारण अपयश भी झेलना पड़ता है.


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